पति की असमय मौत के बाद सुनंदा की हमउम्र महिलाएं जहां धार्मिक कीर्तनों में समय बरबाद करती थीं, वहीं उसे एक साथी की जरूरत थी जो उस के अकेलेपन को दूर करे. देव उसे पसंद भी आया मगर एक डर उसे अंदर ही अंदर सताए जा रहा था..