दिलीप कुमार के सामने रणबीर कपूर चैथी पीढ़ी के कलाकार है. इतना ही नहीं दिलीप कुमार और रणबीर कपूर के बीच सिर्फ दो मुलाकाते ही हुई हैं. पर इन मुलाकातों ने रणबीर कपूर के दिलो दिमाग में ऐसा असर किया है कि वह कभी उन्हे भुला नही सकते. दिलीप कुमार के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए रणबीर कपूर कहते हैंः
दिलीप कुमार जैसा इंसान, कलाकार कभी मरता नहीं. दिलीप कुमार थे, दिलीप कुमार हैं और दिलीप कुमार हमेशा रहेंगे. मेरा मानना है कि वह हर भारतीय के दिल में हमेशा जिंदा रहेंगे. दिलीप कुमार को लेकर मेरी कुछ यादें बहुत अच्छी है. मुझे अच्छी तरह से याद है कि जब मेरी पहली फिल्म‘‘सांवरिया’’रिलीज हुई थी,तो दिलीप साहब फिल्म के प्रीमियर पर आए थे. उस वक्त उनसे मेरी लंबी मुलाकात नहीं हो पायी थी. दूसरे ही दिन सुबह वह अपनी गाड़ी में मेरे घर के बाहर आए. घर के अंदर नहीं आए. उन्होंने हमारे घर के चैकीदार से कहा कि,‘साहबजादे रणबीर को बाहर बुलाकर लाओ. ’मैं बाहर गया. उन्होंने मुझे नीचे बैठाया. फिर मेरे दादाजी,परदादाजी को लेकर कई किस्से सुनाए. फिल्मों को लेकर उन्होंने बहुत सी बातें सुनायी. उन्होंने परफार्मेंस को लेकर कई बातें कही. कुछ टिप्स भी दे दिए. दिलीप कुमार जैसे दिग्गज कलाकार का आशिर्वाद जब मिलता है,तो अपने आप आपके अंदर एक ऐसा आत्म विश्वास आ जाता है कि फिर आपको लगता है कि अब आपकी सारी राह आसान हो गयी है.
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इस मुलाकात में कम से कम तीन घंटे हमारे बीच बातचीत होती रही. दिलीप कुमार साहब ने मेरे पापा या मेरे दादाजी को लेकर कुछ किस्से सुनाए. पर मुझे उनका सुनाया हुआ वह किस्सा मेरे दिलो दिमाग में बैठ गया,जो कि उन्होने मेरे ग्रैंड दादाजी यानी मेरे परदादा स्वर्गीय पृथ्वी राजकपूर को लेकर सुनाया. दिलीप कुमार साहब और मेरे परदादा पृथ्वीराज कपूर ने एक साथ फिल्म‘‘मुगल ए आजम’’में एक साथ काम किया था. फिल्म की शूटिंग चल रही थी. एक दिन दिलीप कुमार साहब सेट पर पहुंचे,तो कुछ बीमार थे. वह मेकअप रूम में जाकर बैठ गए. जब यह बात मेरे परदादा स्वर्गीय पृथ्वीराज कपूर को पता चली,तो वह दिलीप साहब के मेकअप रूम में गए और दिलीप कुमार साहब को अपनी गोद में बिठाया तथा उनके पैर दबाने लगे. फिर अपने चरित्रों की भी बात की. दिलीप कुमार साहब ने बताया कि यह वह दौर था,जब पृथ्वीराज कपूर और वह दोनों बहुत लोकप्रिय थे. दोनों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा थी. इसके बावजूद उस दौर में यह कलाकार आपस में बड़े दिल के साथ व्यवहार करते थे. जबकि अब तो सभी कलाकार सेल्फिश हो गए हैं. सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं.