मेरा और ममता का दर्द एक ही था. हम दोनों ही विधुर थे. हमारे बेहद नजदीकी लोगों ने चाहा भी कि हम दोनों एक कश्ती में सवार हो कर हमसफर बन जाएं पर अपनेअपने दर्द की चादर ओढ़े हम दोनों जीवन के भंवर में फंसे जीते रहे.