करीब 50 से ज्यादा मेहमान मेरी सहेली सीमा की शादी की दूसरी सालगिरह की पार्टी का पूरा आनंद उठा रहे थे. मैं ने फ्रैश होने की जरूरत महसूस करी तो हौल में बनी सीढि़यां चढ़ कर पहली मंजिल पर बने गैस्टरूम में आ गई.
मैं बाथरूम में घुस पाती उस से पहले ही रवि ने तेजी से कमरे में प्रवेश कर के मु झे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया. मैं बड़ी कठिनाई से अपनी चीख दबा पाई.
‘‘बड़ी देर से इंतजार कर रहा था मैं इस मौके का स्वीटहार्ट. कितनी सुंदर हो तुम शिखा,’’ बड़ी गरमगरम सांसे छोड़ते हुए उस ने मेरी गरदन पर छोटेछोटे चुंबन अंकित करने शुरू कर दिए.
उस का स्पर्श बड़ा उत्तेजक था, पर अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखते हुए मैं ने उसे डपट दिया, ‘‘पागल हो गए हो क्या. कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा. छोड़ो मु झे.’’
‘‘वहां कब मिलोगी जहां कोई देखने वाला नहीं होगा, मेरी जान,’’ मेरे गाल का चुंबन लेने के बाद उस ने मु झे अपनी बांहों को कैद से तो आजाद कर दिया, पर मेरा हाथ पकड़े रखा.
‘‘तुम जाओ यहां से,’’ कुछ सहज हो कर मैं मुसकरा उठी.
‘‘पहले अकेले में मिलने का पक्का वादा करो.’’
‘‘ऐसी कोई जगह नहीं है जहां हम अकेले मिल सकें.’’
‘‘है, बिलकुल है.’’
‘‘कहां?’’ मेरे मुंह से अपनेआप निकल गया.
‘‘मेरे घर वाले परसों शहर से बाहर जा रहे हैं. पूरा दिन घर खाली रहेगा. तुम्हें किसी भी तरह मु झ से मिलने आना ही पड़ेगा, शिखा.’’
‘‘मैं कोशिश करूंगी. अब तुम...’’
‘‘प्लीज, पक्का वादा करो.’’
‘‘ओके, बाबा. अब भागो यहां से.’’