विज्ञान जगत में जो नएनए आविष्कार हुए और आज जो हम प्रगति के पथ पर बढ़ रहे हैं यह मुमकिन हो पाया दृढ़ संकल्प की मानसिकता वाले व्यक्तियों की वजह से. किसी चीज को पाने की तीव्र इच्छा यानी किसी ध्येय को हासिल करने का इरादा व्यक्ति को आंतरिक प्रेरणा देता है कि वह उस दिशा में ठोस कदम बढ़ाए. दृढ़ संकल्प ध्येय हासिल करने के लिए होना चाहिए पर उस से अन्य किसी को या खुद को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे वरना कठिनाइयां पैदा हो जाएंगी. जानीमानी गाइनोकोलौजिस्ट डा. नलिनी पटेल अपने दृढ़ संकल्प के चलते ही भारत और विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण कर के टैस्ट ट्यूब बेबी को अवतरित करवाने में कामयाब रहीं.

वे बताती हैं कि उन के पिता किसान थे. जब वे महज 8 साल की थीं तब उन के पिता का देहांत हो गया. वे अपने मातापिता की इकलौती संतान थीं. पिता के देहांत के बाद रिश्तेदारों ने धोखे से उन की जमीन भी हथिया ली. चूंकि उन की मां ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थीं, इसलिए उन से धोखे से हस्ताक्षर करवा लिए गए. मजबूरन उन्हें अपनी छोटी बच्ची नलिनी को साथ ले कर घर त्यागना पड़ा. कुछ रिश्तेदारों ने थोड़ी सहायता की, लेकिन वे भी कब तक करते? आखिर नलिनी की मां को जीवनयापन और छोटी बच्ची के लालनपालन की खातिर लोगों के घर जा कर बरतन मांजने और कपड़े धोने जैसे काम करने पड़े. इस दौरान नलिनी सरकारी स्कूल में पढ़ाई भी करती रहीं और मां की काम करने में जितनी हो सकती थी, मदद भी करती रहीं. पढ़ाई में वे होशियार थीं, अत: मन ही मन दृढ़ संकल्प किया कि डाक्टर बन कर बीमार लोगों का इलाज करेंगी और अपने जीवनस्तर को ऊंचा उठाएंगी. मां को जीवन में सुखशांति और खूब मानसम्मान दिलवाएंगी.

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