ननदभाभी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. कहीं न कहीं दोनों के मन में एकदूसरे के प्रति ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा की भावना रहती है. लेकिन आपसी समझदारी से न केवल आप अपने रिश्ते को प्रगाढ़ बना सकती हैं वरन एकदूसरे की अच्छी सहेलियां भी बन सकती हैं.
मैथिली शादी कर के ससुराल आई, तो सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन उस की छोटी ननद नैना हर बात में नुक्ताचीनी करती थी. अगर वह अपने पति के लिए कुछ बनाने जाती, तो तुरंत मना कर देती कि रहने दीजिए भाभी आप का बनाया भैया को पसंद नहीं आएगा.
मैथिली बहुत परेशान थी. उसे ननद के व्यवहार से बहुत कोफ्त होती थी. लेकिन चाह कर भी कुछ कह नहीं पाती. यहां तक कि मैथिली जब अपने पति अरुण के साथ अकेले कहीं जाना चाहती, तो भी नैना उस के साथ चलने को तैयार हो जाती.
एक दिन मैथिली ने नैना से कह ही दिया कि लगता है आप के भैया को मेरी जरूरत नहीं है. आप तो हैं ही उन के सारे काम करने के लिए, फिर मैं यहां रह कर क्या करूंगी. मैं अपने मायके चली जाती हूं.
मैथिली की बात सुन कर नैना ने पूरे घर में हंगामा मचा दिया. मैथिली अपने मायके चली गई. फिर बहुत समझाने पर वह इस शर्त पर ससुराल आने को तैयार हुई कि अब नैना उस के और अरुण के बीच न आए.
आमतौर पर जब तक भाई की शादी नहीं होती है घर पर बेटी का एकछत्र राज होता है. मातापिता और भाई उस की हर जायजनाजायज बात मानते हैं. पर जैसे ही भाई की शादी होती है, उस का ध्यान अपनी बीवी की ओर चला जाता है. वह बहन को उतना समय नहीं दे पाता है, जितना पहले देता था. यह बात बहन को बर्दाश्त नहीं हो पाती और वह यह सोच कर कुंठित हो जाती कि अब भाई मेरी नहीं भाभी की बात को ज्यादा अहमियत देता है. यह सोच उसे नईनवेली भाभी का प्रतिद्वंद्वी बना देती है. इस वजह से न चाहते हुए भी ननदभाभी के बीच कटुता आ जाती है.