अमरकंटक में प्रकृति रोमांचित करती है. घने जंगल कान में फुसफुसाते हैं. आध्यात्म और धर्म इस नगरी में एक खास आयाम जोड़ते हैं. दरअसल, यह ऐसी जगह भी है, जो दो बड़ी नदियों नर्मदा और सोन का उद्गम स्थल भी है. इनके उद्गम को देखेंगे, तो लगेगा ही नहीं कि छोटे-छोटे कुंडों से निकलकर काफी दूर तक बहुत पतली धारा में बहने वाली ये नदियां देश की संस्कृति और धार्मिकता और विकास में खास जगह रखती हैं.
पहाड़ों पर बसा अमरकंटक
अमरकंटक ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों के बीच बसी सुंदर-सी जगह है. प्रकृति की तमाम संपदाओं से युक्त अमरकंटक काफी ऊंचाई पर है. यहां खदानें भी हैं और वाटरफॉल भी. अब यहां नए-नए मंदिर बन गए हैं. नर्मदा और सोन के करीब टहलने से, आपको शांति का अनुभव होगा. पहाड़ों के अदृश्य स्रोतों से नर्मदा और सोन का निकलना किसी अचरज से कम नहीं लगता है.
यहां एक और नदी भी निकलती है, उसका नाम जोहिला है. कुछ लोग जब यहां आते हैं और इन नदियों के उद्गम में जल की हल्की- फुल्की कुलबुलाहट के बीच इन्हें देखते हैं तो सोच नहीं पाते कि ये वही नदियां हैं, जो हजारों किमी.का सफर तय करती हैं. सोनमुदा नर्मदा कुंड से 1.5 किमी. की दूरी पर मैकाल पहाड़ियों के किनारे पर है. सोन नदी 100 फीट ऊंची पहाड़ी से एक झरने के रूप में यहां से गिरती है.
धार्मिक महत्व
पहले अमरकंटक शहडोल जिले में था. अब यह अनूपपुर जिले में है. समुद्र तट से कोई 1065 मीटर की ऊंचाई पर. विंध्य व सतपुड़ा की पर्वत शृंखला और मैकाल पर्वत शृंखला के बीचों बीच बसा हुआ. यहां पर्वत, घने जंगल,मंदिर, गुफाएं जल प्रपात हैं.