भारत में लिव-इन रिलेशन का ट्रेंड जोर पकड़ रहा है. खास कर मेट्रो शहरों में स्टूडेंट और वर्किंग एग्जीक्यूटिव के लिए यह इमोशनली और फाइनेंशियली सुविधाजनक रहता है. सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है. अगर आप लिव-इन में रहते हैं तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि लिव-इन कपल के तौर पर आपके फाइनेंशियल राइट्स क्या हैं. भारत में रहने वाले लिव-इन कपल कई मामलों में मैरिड कपल से अलग हैं और बतौर लिव-इन कपल इन लोगों को कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है.
लिव-इन पार्टनर को बैंक अकाउंट में बना सकते हैं नॉमिनी
अगर आप लिव-इन रिलेशनशिप में हैं और आप बैंक में अकाउंट खोलते हैं तो आप अपने पार्टनर को अकाउंट में नॉमिनी बना सकते हैं.
आपको नहीं मिलेगा फैमिली इन्श्योरेंस कवर
अगर आप लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं तो बीमा कंपनी आपको फैमिली प्रोटेक्शन प्लान या फैमिली हेल्थ इन्श्योरेंस कवर नहीं देगी. आप इंडीविजुअल प्लान ले सकते हैं. लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे कपल फैमिली प्लान नहीं ले सकते हैं क्योंकि लिव-इन रिलेशनशिप अभी डिफाइंड रिलेशन में नहीं आता है.
प्रॉपर्टी का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर दो लोग शादी किए बिना लंबे समय तक पति और पत्नी के तौर पर रहते हैं तो दोनों को कानूनी तौर पर मैरिड माना जाएगा. ऐसे में अगर लिव-इन में रहने वाली महिला के पार्टनर की मौत हो जाती है तो उसे अपने पार्टनर की प्रॉपर्टी मिलेगी.
लिव-इन पार्टनर के तौर पर वीजा मिलने में होगी मुश्किल
अगर आप लिव-इन में रह रहे हैं और आपके पार्टनर को विदेश में जॉब मिल गई है और आपका पार्टनर विदेश में सेटल होना चाहता है तो आप उसके साथ लिव-इन पार्टनर के तौर पर विदेश में सेटल नहीं हो पाएंगे. आपको वीजा मिलने में दिक्कत आएगी क्योंकि आप को वीजा के लिए आवेदन करते समय आपको वैवाहिक स्थिति बतानी होगी. अभी तक भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को डिफाइंड रिलेशन में नहीं माना जाता है. ऐसे में इसके आधार पर आपका वीजा नहीं बनेगा.