न बच्चे, न पति, न मातापिता और न भाईबहन का रोब, फिर भी तमिलनाडु की बीमार मुख्यमंत्री महारानी जे. जयललिता का जलवा ऐसा है कि वे अस्पताल में रह कर भी राज चला रही हैं और जरूरी कागजों पर उन के हस्ताक्षरों की जगह अंगूठे का निशान लिया जा रहा है यह कह कर कि उन के दाएं हाथ में सूजन है.

आमतौर पर इस तरह बीमार औरत के चारों ओर गिद्ध जमा होने लगते हैं, जो जीते जी औरतों को तो क्या आदमियों को भी लूट ले जाते हैं. ऐसे में तमिलनाडु के विधायकों, सांसदों, पंचायत अध्यक्षों, नेताओं में से एक की भी हिम्मत दूसरी पार्टी में जाने की नहीं हो रही कि कहीं जयललिता ठीक न हो जाएं और राजपाट न संभाल लें.

जयललिता ने जब राज पाया था तो वे एम.जी. रामचंद्रन की साथिन थीं, जो उस समय मुख्यमंत्री थे पर पहले फिल्मी परदे के बादशाह रहे थे. जयललिता ने रामचंद्रन की विधिवत पत्नी से सत्ता छीन ली थी पर तमाम मुसीबतों के बावजूद वे तमिलनाडु पर राज करती रहीं भले मुख्यमंत्री नहीं रहीं या जेल में रहना पड़ा. अगर यह ताकत किसी और में है, तो शायद ममता बनर्जी और मायावती में ही है. किसी भी पुरुष नेता में ऐसा दम नहीं कि जब कोई वारिस न हो तो भी सत्ता हाथ में रहे.

यह विशेष गुण औरतों का है या 36 खास नेताओं का कहना कठिन है पर जिन्हें क्लियोपैट्रा की कहानी मालूम है वे जानते हैं कि औरतों में सर्वाइवल की विशेष इंद्री होती है और वे जान जाती हैं कि उन का भला कौन करेगा और किस तरह उस जने को लुभाया जा सकता है. औरतें शेर को बकरे की तरह रख सकती हैं जैसी सोच चाहे पुरुषवादियों ने पैदा की हो पर यह जताती है कि अगर औरतों में जरा सी चतुराई हो, जरा सा आत्मविश्वास हो, वे जरा सा सामाजिकपारिवारिक बंधनों को ढीला कर दें तो किले फतह कर सकती हैं. उन्हीं के नाम पर ताजमहल जैसी सुंदर इमारत बन सकती है और वह भी मरने के बाद.

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