एनपीएस वैसे तो रिटायरमेंट के लिहाज से एक बेहतर निवेश विकल्प माना जाता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जिसपर आमतौर पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है. अगर आप एक बड़े परिदृश्य में देखें तो बाजार में कुछ ऐसे निवेश विकल्प भी उपलब्ध हैं जो एनपीएस के मुकाबले कई मायनों में बेहतर साबित होते हैं. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आपको किन वजहों से एनपीएस में निवेश करने से बचना चाहिए.

एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट्स का मानना है कि एनपीएस में सबसे बड़ी समस्या लिक्विडिटी की होती है. इसमें आप निकासी एक निश्चित अवधि के बाद ही कर सकते हैं उससे पहले नहीं. वहीं दूसरी बड़ी समस्या इसमें टैक्स को लेकर होती है. वो यह कि एनपीएस में किए गए निवेश का 40 फीसद हिस्सा ही सिर्फ टैक्स फ्री होता है जबकि बाकी के 60 फीसद पर आपको टैक्स देना होता है. वहीं इसमें आप पूर्ण निकासी नहीं कर सकते हैं आपको एक निश्चित राशि एन्युटी में देनी होती है और इस एन्युटी पर कितना ब्याज मिलेगा वो कंपनियां तय करती हैं. वर्तमान समय में एन्युटी रेट 7 से 8 के आस पास है, जो कि थोड़ा कम जान पड़ता है. लिहाजा इस संदर्भ में भी एनपीएस थोड़ा कमतर जान पड़ता है.

इन कारणों से आपको एनपीएस में निवेश नहीं करना चाहिए

हाई लौक-इन बड़ी समस्या

NPS बनाम अन्य निवेश विकल्प

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हालांकि सभी सभी टैक्स सेविंग विकल्पों पर लौक-इन पीरियड होता है लेकिन किसी में भी एनपीएस जैसा नहीं होता है. जैसा कि पीपीएफ में 7 साल का लौकइन पीरियड होता है, हालांकि इस अवधि के पहले आप आंशिक निकासी कर सकते हैं और आप 15 साल के बाद पूरी राशि निकाल सकते हैं.

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