बेसिर पैर की कहानी, बेतुका प्रेम संबंध, बेतुकी पटकथा और बेतुका निर्देशन यानी कि फिल्म ‘‘हरामखोर’’.फिल्मकार दावा कर रहे हैं कि यह फिल्म शिक्षक व छात्रा के बीच की प्रेम कहानी है, पर इसे शिक्षक व छात्रा के बीच हवस पर आधारित बोल्ड फिल्म कहना ज्यादा उचित होगा.
यह फिल्म एक चौदह वर्षीय लड़की और उसके शिक्षक के बीच प्रेम कहानी है. मगर पूरी फिल्म में फिल्म निर्देशक शिक्षक व छात्रा की प्रेम कहानी को स्थापित नहीं कर पाए, बल्कि यह प्रेम की बजाय महज वासना ही नजर आयी. निर्देशक व पटकथा की कमजोरी के चलते शिक्षक अर्थात श्याम महज सेक्स के हवसी नजर आते हैं.
फिल्म ‘‘हरामखोर’’ की कहानी के केंद्र में मध्यप्रदेश के एक गांव में अपने पुलिस अफसर पिता के साथ रह रही नौंवी कक्षा की छात्रा संध्या (श्वेता त्रिपाठी) और उसके शिक्षक श्याम सर (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) हैं. संध्या की मांबचपन में ही उसे छोड़कर चली गयी थी, श्याम सर ने अपनी छात्रा रही सुनीता (त्रिमाला अधिकारी) से हीशादी कर रखी है, पर उनकी कोई संतान नहीं है. श्याम सर स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ अपने घर पर भी ट्यूशन लेते हैं. श्याम सर अपनी छात्राओं व छात्र छात्राओं की माताओं पर डोरे डालते रहते हैं. संध्या का सहपाठी कमल (बाल कलाकार इरफान खान) भी संध्या के संग शादी रचाने का सपना देख रहा है. उसके इस सपने को पूरा करने में मदद की बात संध्या व कमल का सहपाठी मिंटू (बाल कलाकार मो.समद) करता है. कमल व मिंटू, दोनों ही श्याम सर व संध्या की गतिविधियों पर नजर रखते हैं.
संध्या व श्याम सर के बीच भी प्रेम संबंध हैं. एक दिन संध्या के पिता अपनी प्रेमिका मीनू से मिलने जाते हैं, तब रात में डर का बहाना कर संध्या, श्याम सर के घर पहुंच जाती हैं. फिर श्याम सर के बेडरूम के दरवाजे को खिसका कर श्याम सर को अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाते हुए देखती है. श्याम सर भी देखते हैं कि संध्या उनके इस कृत्य को देख रही है. मगर श्याम सर जानकर भी अनजान बने रहते हुए अपनी पत्नी के साथ सेक्स सुख का आनंद लेते रहते हैं. फिर कुछ समय बाद श्याम सर, संध्या के पास जाकर उसके शरीर को हाथ लगाते हैं. दूसरे दिन स्कूल में संध्या उनसे पन बिजली के पास सुनसान इलाके में मिलने के लिए कहती है. जहां श्याम सर पहुंच कर संध्या के साथ अपनी हवस मिटाते हैं.