औद्योगिक कंपनियां किस तरह रिवर्स बोरिंग कर अपनी फैक्टरी से निकलने वाली जहरीली गैस व जहरीले रसायन जमीन की सतह से नीचे फेंक कर जमीन के नीचे के पानी को विशाक्त बनाती हैं. इस गंभीर मुद्दे पर बनी एक घटिया स्तर की फिल्म का नाम है-‘‘इरादा’’.
‘‘इको क्राइम’’ पर आधारित फिल्म की कहानी पंजाब के भटिंडा शहर की है, जहां आर्मी से रिटायर्ड परबजीत वालिया (नसिरूद्दीन शाह) रहते हैं. उनकी बेटी रिया (रूमान मोल्ला) अपने करियर को पुख्ता करने के लिए सीडीएस परीक्षाओं की तैयार कर रही होती है. लेकिन एक फैक्टरी ‘‘पीपीएफपीएल’ द्वारा रिवर्स बोरिंग कर अपनी कंपनी के जहरीले रासायनिक पदार्थ पुनः जमीन के नीचे बोरिंग करके फेंकने से शहर का पानी विषाक्त हो गया है और इस पानी की वजह से पंजाब के लोग कैंसर के मरीज बन रहे हैं. इसी पानी की वजह से रिया को भी फेफड़े का कैंसर हो जाता है और एक दिन उसकी मौत हो जाती है. अब परबजीत वालिया अपनी बेटी कीमौत के लिए जिम्मेदार तथा पूरे राज्य को कैंसर का मरीज बना रही कंपनी व फैक्टरी ‘‘पीपीएफपीएल’’ के मालिक पैडी शर्मा (शरद केलकर) के खिलाफ अपने अंदाज में मुहीम छेड़ते हैं. वह स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के इस कथन में यकीन करते हैं कि, ‘बहरों को सुनने के लिए धमाकों की जरुरत होती है.’’
इस कहानी के समानांतर पत्रकार सिमी (सागरिका घाटगे) की कहानी चलती है, जो कि अपने प्रेमी अनिरूद्ध की मौत के लिए न्याय मांग रही है. अनिरूद्ध ने पैडी व उनकी फैक्टरी में जिस तरह से विषैला जहर पानी मेंमिलाया जा रहा है, उसको लेकर पूरी सच्चाई जुटा ली थी. इस बात की भनक लगते ही पैडी शर्मा, अनिरूद्ध को मौत देता है, पर उससे पहले पैडी शर्मा, अनिरूद्ध से कहता है कि कालेज के दिनों से उनकी आदत रही है कि जो उसकी बात न माने उसे मौत की नींद सुला दो और सबूत न छोड़ो.