कमल हासन 2013 की अपनी सर्वाधिक विवादास्पद फिल्म ‘‘विश्वरूप’’ का सिक्वअल ‘‘विश्वरूप 2’’ लेकर आए हैं, जो कि आतंकवाद की समस्या पर उलझी हुई फिल्म है.
फिल्म ‘‘विश्वरूप 2’’ की कहानी वहीं से शुरु होती है, जहां ‘विश्वरूप’ की कहानी खत्म हुई थी. कहानी के केंद्र में रॉ एजेंट विशाम अहमद कश्मीरी (कमल हासन) व उनकी पत्नी डा. निरूपमा (पूजा कुमार) और उनकी सहयोगी अस्मिता (एंड्यिा जेरेमिया) हैं. विशाम जब अलकायदा के मिशन से बाहर निकलता है, तो उसे पता चलता है कि आतंकवाद का जनक उमर कुरेशी (राहुल बोस) अब आतंकवाद को फैलाने के लिए भारत पहुंच चुका है.
इस बार विशाम का मकसद उमर कुरेशी का खात्मा करना है. कहानी आगे बढ़ती है तो विशाम की मुलाकात कई किरदारों से होती हैं. उन्हे भारत सरकार में कार्यरत राजेश मेहता (अनंत महादेवन) पर शक होता है और उनका शक सही निकलता है. आखिरकार कर्नल जगन्नाथ (शेखर कपूर) के हाथों राजेश मेहता मारे जाते हैं. पर राजेश मेहता ने उमर कुरेशी के साथ मिलकर जो चक्रव्यूह रचा था, उसी के चलते विशाम की मुलाकात सलीम (जयदीप अहलावत) से होती है.
फिर अचानक अल्माइजर की बीमारी की शिकार और वृद्धाश्रम में रह रही विशाम की मां (वहीदा रहमान) भी आ जाती हैं. खैर,कहानी कई उतार चढ़ाव व मोड़ के साथ आगे बढ़ती है. अंततः विशाम को उमर कुरेशी के आतंकवाद का सफाया करने में सफलता मिलती है. अंत में अस्पताल में मरणासन्न पड़े उमर कुरेशी के सामने विशाम उमर की पत्नी व दोनो बेटों को खड़ा करता है, जिन्हे अलकायदा मिशन के समय विशाम ने बचाकर सुरक्षित जगह पहुंचवाया था.
कमजोर पटकथा और कहानी के बार बार अतीत व वर्तमान में आते जाते रहने के चलते फिल्म दर्शकों को दुविधा में डालती रहती है. बार बार कहानी अतीत में जाती रहती है और दर्शक उन कड़ियों को जोड़ने के प्रयास में सिरदर्द करा बैठता है. पूरे डेढ़ घंटे तक एक्शन व कई तरह के दूसरे फ्लैशबैक दृश्यों के बाद जब इंटरवल होता है तो दर्शक सोच में पड़ जाता है कि कमल हासन कहना या बताना क्या चाहते हैं.