भारत में मौनसून की सब से ज्यादा प्रतीक्षा रहती है, क्योंकि यह मौसम हरेक को गरमी से राहत देता है, लेकिन साथ ही इस मौसम के कारण कई बीमारियों के पनपने की भी आशंका रहती है. बुजुर्ग और बच्चों पर इस मौसम का सब से ज्यादा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि उन की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है.
कई तरह के कीटाणु और संक्रमण मौनसून के साथ आते हैं. पेरैंट्स के लिए बहुत जरूरी है कि वे बच्चों को इन बीमारियों का शिकार होने से बचाएं और कुछ आवश्यक सावधानी बरतें. इस मौसम में नमी के कारण कीटाणुओं की संख्या में वृद्धि होती हैं. बच्चों को इन कीटाणुओं से दूर रखने के लिए काफी सावधानी बरतनी चाहिए.
मौनसून के दौरान स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ जाते हैं. इस के अलावा, त्वचा की बीमारियां, दूषित पानी से उत्पन्न बीमारियां और मच्छर जनित बीमारियां काफी बढ़ जाती हैं.
वायरल बुखार
यह सब से आम बीमारी है, जो मौनसून के दौरान बच्चों को प्रभावित करती है. तापमान में बहुत ज्यादा उतारचढ़ाव बच्चे के शरीर को बैक्टीरिया के हमले के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है जिस के कारण वायरल, सर्दी और फ्लू होता है. इस का इलाज यदि शुरुआती चरण में किया जाए तो ठीक रहता है वरना देरी से गंभीर संक्रमण का खतरा हो सकता है.
डेंगू
यह इस मौसम की आने वाली सब से गंभीर बीमारियों में से एक है. एडिस व इजिप्टी मच्छरों द्वारा काटे जाने पर होने वाली यह एक आम और खतरनाक बीमारी है. ये मच्छर गरम और आर्द्र जलवायु में पैदा होते हैं. डेंगू का प्रकोप भारत में सब से ज्यादा है. इस के शुरुआती लक्षण बुखार, सिरदर्द, बदन पर चकत्ते उभरना आदि हैं.