‘‘अजीब तरह का व्यवहार कर रही थी अजय की पत्नी. पूरे समय बस अपनी खूबसूरती, हंसीमजाक, ब्यूटीपार्लर उफ, कोई कह सकता है भला कि उस के पति की अभीअभी कीमोथेरैपी हुई है. उस के हावभाव, अदाओं से कहीं से भी नहीं लग रहा था कि उस के पति को इतनी गंभीर बीमारी है. मुझे तो दया आ रही है बेचारे अजय पर. ऐसे समय में उस का खयाल रखने के बजाय, उस की पत्नी ऋचा अपनी साजसज्जा में लगी रहती है,’’ घर का दरवाजा खोलने के साथ ही प्रिया ने अपने पति राकेश से कहा.
‘‘हां, थोड़ा अजीब तो मुझे भी लगा ऋचा का तरीका, पर चलो छोड़ो न, तुम क्यों अपना दिमाग खराब कर रही हो. हमें कौन सा रोजरोज उन के घर जाना है. औफिस का कलीग है, कैंसर की बीमारी का सुना तो एक बार तो देखने जाना बनता था,’’ राकेश ने प्रिया को बांहों में लेते हुए कहा.
‘‘अरे, छोड़ो क्या, मेरे तो दिमाग से ही नहीं निकल रही यह बात. कोई इतना लापरवाह कैसे हो सकता है. ऋचा पढ़ीलिखी, अच्छे परिवार की लड़की है, फिर भी ऐसी हरकतें. मुझे तो शर्म आ रही है कि ऐसी भी होती हैं औरतें.
‘‘ऋचा औफिस की पार्टीज में भी कितना बनसंवर कर आती थी. कितना मरता था अजय उस की खूबसूरती पर. एक से एक लेटैस्ट ड्रैसेज पहनती थी वह तब भी. पर अब हालत कैसी है, कम से कम यह तो सोचना चाहिए.’’ राकेश ने प्रिया की बातों में अब हां में सिर हिलाया और कहा कि बहुत नींद आ रही है, सुबह औफिस भी जाना है, चलो सो जाते हैं.