मां के मनोभावों से अनभिज्ञ नहीं था सुनील. बावजूद इस के ऐसी क्या मजबूरी थी कि उस ने मां के प्रति अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लिया था. मुक्ति के लिए मां आखिरी सांस तक लड़ती रहीं.