22 वर्षीय दिल्ली की संगीत की दुनिया में ‘मास्टर औफ परकशन’ कहा जाता है. लोग उस में शिवमनी की परछाई देखते हैं. वैभव शिवमनी को अपनी प्रेरणा मानते हैं.
वैभव चतुर्वेदी बिना किसी तालीम के 16 वाद्ययंत्रों को बजाता है, जिन में ड्रम, कहोन, डिजरी डू, हैंड पैन, हैंड ड्रम, बांसुरी, मुरचंग, भपंग, कांगो, दर्बुका मुख्य हैं. डिजरी डू आस्ट्रेलिया का वाद्य है, जंबे अफ्रीका का है, हैंड पैन स्विटजरलैंड का, काहोन स्पैन का है, कांगो कांगो देश का वाद्य है और दरबुका मिस्र का है, मुरचंग और भपंग राजस्थान के वाद्य हैं. इस तरह देखा जाए तो वैभव दुनिया के अलगअलग देशों के संगीत से जुड़ा है और अपने देश के ऐसे वाद्य भी बजाता है जिन्हें बहुत कम लोग बजा पाते हैं.
बचपन में टेबल बजाने से शुरू हुआ वैभव का यह थाये सफर, जिसे उस के स्कूल के प्रिंसिपल ने भी सपोर्ट किया और उसे तबला व कांगो बजाने का मौका दिया. वैभव ने स्कूल के अनेक कार्यक्रमों में पैड और साइड ड्रम भी बजाए. उस के मातापिता के पास इतना पैसा नहीं था कि उसे संगीत की शिक्षा दिला पाते, पर जब वैभव 10वीं कक्षा में आया तो उसे सेवन पीस ड्रम दिलवाया जिस की वैभव ने दिल लगा कर पै्रक्टिस की.
वैभव के परिवार वाले बताते हैं कि वैभव की बचपन से ही संगीत के प्रति गहरी रुचि थी. वे याद करते हैं तो समझ आता है कि बिना गाना सुने वैभव कभी सोता ही नहीं था. उस की मां को यदि कुछ काम करना होता था तो वे टेपरिकौर्डर पर गाना बजा कर उसे बैठा देती थीं और वह छोटा सा बच्चा आराम से खेलता रहता था, जब उसे नींद आती तो वह खुद सो जाता था. यह वह तब करता जब महज 7-8 महीने का था.