‘मेरी जिम जाने की दिल से चाहत है, लेकिन क्या करूं समय ही नहीं मिलता,’ यह बात कुछ लोगों से अकसर सुनने को मिलती है. फिटनैस के लिए आज का युवावर्ग जितना जागरूक और सजग है, उतना ही दूसरा वर्ग भी हो जाए और काम के झमेले, काम के तनाव वगैरह में से अपनेआप पर ध्यान देने के लिए समय निकाले तो अपनी चाहत पूरी न होने और अपने स्वास्थ्य व फिटनैस को ले कर पछतावा नहीं रहेगा.
शरीर प्रकृति की एक सुंदर, परिपूर्ण रचना है. यह शरीर जितना चलताफिरता है उतना ही मजबूत, हट्टाकट्टा और लचीला बना रहता है. इस शरीर को अच्छे आहार और व्यायाम का जोड़ दे कर प्रकृति का दिया हुआ लचीलापन व हट्टाकट्टापन जिंदगी भर संभाला जाता है. सहज रूप से करीना के जीरो फिगर और सिक्स पैक एब्स का आकर्षण हर एक को होता है, लेकिन उस के लिए कितने लोग मेहनत करने को तैयार होते हैं? सभी लोग इस के पीछे भागें यह जरूरी नहीं है, लेकिन अपने शरीर की सुडौलता बनाए रखने और जिंदगी भर स्वस्थ रहने के लिए अपनी व्यस्त जीवनशैली से थोड़ा समय अपने लिए निकालने में क्या मुश्किल है?
‘अपनीअपनी डफली अपनाअपना राग’ यह कहावत व्यायाम के लिए भी खरी उतरती है. जबकि व्यायाम की रूपरेखा इंसान के स्वास्थ्य, जीवनपद्धति, व्यवसाय व उम्र इन सभी चीजों को ध्यान में रख कर तय करनी पड़ती है. किसी एक इंसान के द्वारा किया जाने वाला व्यायाम दूसरे व्यक्ति को भी सूट करेगा ऐसा नहीं है. अच्छी नहीं लगने वाली तनाव, कष्ट या क्लेशदायक गतिविधि को हम व्यायाम नहीं कह सके हैं. लेकिन योग, रनिंग, वेट ट्रेनिंग, स्विमिंग, कोई खेल खेलना या डांस करना इन में से कोई भी व्यायाम हमें जिंदगी भर स्वस्थ रख सकता है.