तीन तलाक एक ऐसा संजीदा विषय है, जिस पर सालों से बातचीत चल रही है, पर उसका कोई परिणाम आजतक देखने को नहीं मिला. सालों से मुस्लिम महिलायें इससे पीड़ित हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए डा अलीना खान जो एक डाक्टर हैं और इंटेसिव केयर स्पेशलिस्ट हैं. काम के दौरान उन्होंने ऐसी कई महिलाओं की आपबीती कहानियां सुनी और इस दिशा में कुछ काम करने की इच्छा से उन्होंने फिल्म ‘कोड ब्लू’ का निर्देशन राहत काजमी फिल्म्स के बैनर तले किया. जिसे बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया.
इस फिल्म को बनाने की वजह के बारें में पूछे जाने पर अलीना कहती हैं कि मैं एक डाक्टर हूं और जिस लड़की की कहानी फिल्म में है, वह मेरे बहुत करीब है और मैंने उसकी मुश्किलों को नजदीक से देखा है. इसी से मेरे अंदर प्रेरणा जगी और मैंने फिल्म बनायी. इसमें दिखाई गयी सारी कहानियां रियल है और मैं इसे दर्शकों के सामने लाना चाहती हूं.
अलीना का आगे कहना है कि हमारा मुस्लिम समाज पुरुष प्रधान है ऐसे में महिलाओं की बातें कोई नहीं सुनना चाहता, पर मैं एक शिक्षित परिवार में पली बड़ी हुई हूं, जहां मुझे अपनी बात कहने का हक है और वे पूरी तरह से इसे सपोर्ट करते हैं, लेकिन मेरी सुरक्षा को लेकर थोड़ी चिंता थी. इसके अलावा इस फिल्म को करने के लिए मैंने अपने कैरियर को एक साल के लिए स्थगित रखा. मेरी फिल्म तीन ऐसे शब्दों पर आधारित है, जो तीन सेकेंड में लाखों महिलाओं की जिंदगी बर्बाद कर देती है. तीन तलाक एक ऐसी विवादित प्रथा है जिसके जरिये एक मुस्लिम पुरुष को ये हक है कि वह तीन बार ‘तलाक’ बोलकर अपनी पत्नी को हमेशा के लिए छोड़ सकता है. वो तलाक न सिर्फ मौखिक रूप से दे सकता है, बल्कि ऐसा वह लिखित और इलेक्ट्रोनिक फौर्म में भी कर सकता है. इस फिल्म के द्वारा इसके दुष्परिणाम को दिखाने की कोशिश की है. इसमें मैंने कई सौ महिलाओं से बातचीत की है. ये डाक्युमेंट्री नहीं, बल्कि एक आम फिल्म है, जिसे सबको देखना चाहिए.