जिस की कथा के स्मरण मात्र से मनुष्य कंगाली से छूट मालामाल हो जाता है उस भ्रष्टाचार को नमस्कार.
हे महामते, इसलिए तुम्हें भ्रष्टाचारियों पर सपने में भी क्रोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि आज के दौर में भ्रष्टाचार ही यश है, वह ही जुर्म करवाने वाला और सजा से रक्षा करने वाला है. यह संपूर्ण जीवन भी भ्रष्टाचार ही है. तभी आज सभी सीना चौड़ा कर भ्रष्टाचार में रत हैं. आज कोई देवता भी इसे शाप दे कर इस देश से बहिष्कृत नहीं कर सकता. भ्रष्टाचार सर्वव्यापी होने के कारण किसी के भीतर नहीं है. इस की कोई सीमा नहीं है, इस दृष्टि से देखने पर यह सदा ही सब धंधों से परे है.
हे भक्तो, उन्मुक्त हो, प्रेम मुदित मन से कहो, ‘भ्रष्टाचार...भ्रष्टाचार... भ्रष्टाचार...श्री भ्रष्टाचार...भ्रष्टाचार... भ्रष्टाचार...भ्रष्टाचार माता च पिता भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार बंधुश्च सखा भ्रष्टाचार. स्विस खातों में जमा काला धन भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार सर्वं मम देव देव.’
हे विप्रगणो, जो तनमन से करप्ट हो साधु होने का दिखावा करते हैं, जो कलियुग में इस भ्रष्टाचार कथा का रसास्वादन करें या इस की कथा निष्ठा से करते हैं उन्हें व उन की आने वाली कई पीढि़यों को स्वर्ग और मोक्ष दोनों प्राप्त होंगे, इस में तनिक भी संदेह नहीं. भ्रष्टाचार की कथा तुरंत फलदायी है. जो सदा भ्रष्टाचार की कथा का पाठ करते हैं वे धन्य हैं. जिन्होंने भ्रष्टाचार न छोड़ पद छोड़ दिए, ईमानदारी को दग्ध कर डाला उन परमादरणीय भ्रष्टाचारियों की महिमा का वर्णन कौन कर सकता है?
भ्रष्टाचार कथा का पाठ करने से चोर भी धार्मिक विचारों वाला हो जाता है. कायर हर फील्ड में विजय पाता है, नालायक हर साक्षात्कार में सफल होता है, अफसर चांदी कूटता है, दिवालिए दिमाग वाला अपार बुद्धि पा बुद्धिजीवी हो जाता है.