42 वर्षीय शोना चौहान पारले एग्रो में मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. 1999 में उन्होंने 22 वर्ष की आयु में कंपनी के बोर्ड में बतौर डाइरैक्टर जौइन किया था. 2006 में उन के सीईओ बनने के बाद उन का गु्रप विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा 50 से अधिक देशों का निर्यातक बना. ‘बिजनैस स्कूल लुसाने’ से बैचलर की डिगरी ले कर शोना चौहान अपने पिता प्रकाश चौहान के साथ फैमिली व्यवसाय में शामिल हुई थीं. ‘इंदिरा सुपर अचीवर अवार्ड, सितंबर 2004, ‘बैस्ट यंग कौरपोरेट लीडर 2006,’ एफआईसीसीआई एफएलओ यंग वूमन अचीवर्स अवार्ड्स, 2008,’ ‘जीआर8 एफएलओ वूमन अचीवर्स 2009’ सहित शोना चौहान को ढेरों अवार्ड मिल चुके हैं. उन का जीवनमंत्र दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से आगे निकलना है. शोना चौहान से हुई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:
इस मुकाम तक पहुंचने के दौरान किस तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ा?
सही लोगों को भरती करने, अच्छी प्रतिभाओं को कंपनी से जोड़े रखने, नए बदलावों के अनुसार कंपनी को ढालने जैसी चुनौतियां अकसर आती हैं. मगर मैं इन्हें कठिनाइयों के रूप में नहीं देखती. बदलावों का सामना केवल लीडर्स को ही नहीं करना होता, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर पूरी कंपनी को इस से गुजरना होता है. समस्याओं के अधिक जटिल बनने से पहले ही उन का हल निकालना भी एक चुनौती है.
अपना मैंटोर किसे मानती हैं?
मैं अपने पिता को ही अपना मैंटोर मानती हूं. मैं ने बहुत कम उम्र से उन के साथ काम करने का अवसर हासिल किया और उन से बहुत कुछ सीखा.
ये सब करने की प्रेरणा कहां से मिलती है?