पूनम झा, (कोटा, राजस्थान)
घर के मजबूत स्तम्भ होते हैं पिता,
बच्चों की ताकत हैं पिता, भविष्य की उम्मीद हैं पिता,
संघर्ष की धूप में छत्रछाया हैं पिता,
पथप्रदर्शक हैं पिता, कंटक भरी राहों में
मजबूत साया हैं पिता, मां की पदचाप हैं पिता,
मां की आवाज हैं पिता, हर नाउम्मीद पर
ढाढ़स हैं पिता, बच्चा यदि पिता की लाठी है,
तो उस लाठी की मजबूती हैं पिता,
घर,परिवार और बच्चों की नींव हैं पिता,
पिता के लिए जितना कहें वो कम है क्योंकि
उनसे ही तो अस्तित्व है हमारा ।
पिता को मेरा सादर नमन
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