रीता के जाने के बाद हर बार सुधा को घर में रीतापन रेंगता सा महसूस होता. सौरभ, गौरव स्कूल चले जाते और अजीत फैक्टरी, तब सुधा का तन चाहे जिस काम में लगा हो मन रीता के नाम की खूंटी पर अटका रहता.