वैश्विक पटल पर महामारी का रूप ले चुका कोविड-19 का संकट भारत पर लगातार गहरा रहा है. भारत में अबतक कोरोनावाइरस के 415 मामले सामने आ चुके हैं. इस बात से तो शायद सभी सरोकार रखते हैं कि भारत में यदि जल्द से जल्द इसे रोकने के मजबूत कदम नहीं उठाए गए तो यह महामारी जंगल में आग की तरफ फैलते हुए भारत के विनाश का कारण बन जाएगी. हैरानी की बात यह भी है कि दुनिया के दूसरे सब से अधिक जनसंख्या वाले देश में कोविड-19 के अबतक इतने कम केसेस कैसे हैं, तो इस का सब से बड़ा कारण भारत में इस के टेस्ट की सही सुविधा का न होना है. भारत की 1.3 बिलियन की आबादी जिन में गरीबी, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं, ट्रस्ट आधारिक संरचना विद्यमान है, उस में इस खतरनाक वायरस का फैलना किसी तबाही से कम न होगा. बावजूद इस के वीरवार शाम 8 बजे अपने प्राइम टाइम में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को ताली और थाली का मंत्र पकड़ा दिया जबकि जरूरत उन्हें वायरस से लड़ने के लिए देश की आर्थिक मजबूती और भौतिक संसाधनों के विषय में बात करने की थी.
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार इस तरह ताली बजा कर लोगों को कोरोना वायरस से लड़ रहे डाक्टरों की हौसला अफजाई कर उन्हें सराहना है. इस बाबत लोगों ने रविवार को ऐसा ही किया. रविवार सुबह 7 से 9 बजे तक देश में जनता कर्फ्यू देखने को मिला वहीं शाम 5 बजे लोगों ने ताली, थाली, घंटिया, कटोरी बजाबजा कर गो कोरोना गो का नारा इस तरह लगाया जैसे सचमुच इस शोर से देश वायरस मुक्त हो जाएगा. इस ताली बजाओ कारनामे की सफाई देते हुए कुछ लोगों ने धड़ाधड़ इस के फायदे, चंद्रमा सूर्य की उपस्थिती और न जाने कैसे तगड़मबगड़म गिनाने शुरू कर दिए परंतु क्या सचमुच हमें इस की जरूरत थी?