लेखक- शंभू सरण सत्यार्थी
अमरेश और बबिता दशम वर्ग में एक ही कोचिंग संस्थान में पढ़ते थे. अमरेश अपने क्लास में पढ़ने में सबसे तेज था. बबिता भी कम नहीं थी. वह भी मेधावी थी. शिक्षकों के हर सवाल का जवाब ये दोनों देते. शिक्षक लोग भी दोनों को प्रोत्साहित और तारीफ करते रहते. बबिता सभी लड़कियों में मेधावी के साथ साथ सुंदर भी थी. लड़के जब भी मौका मिलता उसे भर नजर देखा करते. उसके पिता कस्बे के नामी ब्यापारी थे. वह एक से एक सुंदर और महंगी टॉप जीन्स और अलग अलग वेरायटी का कपड़े पहनकर आती. कोचिंग में जब कोई फ़ंक्शन होता तो लड़के लड़कियां यहां तक कि शिक्षक तक उसका ड्रेस देखकर दंग रहते.
लड़के लड़कियां देखकर दंग रहते. बबिता एक दिन अमरेश से मैथ का कॉपी मांगी. अमरेश खुश होकर दे दिया. अब बराबर दोनों एक दूसरे को कॉपी नोटस दिया करते. इसी बहाने घनिष्टता बढ़ते गयी. एक दिन अमरेश के कॉपी पर बबिता आई लव यू लिखकर भेज दी. अमरेश देखते ही इतना खुश हुआ कि जिसका कोई जवाब नहीं. अमरेश ने भी आई लव यू लिखकर जवाब दिया. उसके बाद बबिता कॉपी पर अपना मोबाइल नम्बर दी. अमरेश के पास मोबाइल नहीं था. अमरेश के पिता साधारण किसान थे. अमरेश ने कॉपी पर लिख दिया मेरे पास मोबाइल नहीं है. पुनः बबिता लिखी उसका इंतजाम हम करेंगे. उसके बाद उसने अपने नाम से एक सिम ली और एक मोबाइल खरीदकर अमरेश को दिया. अब अमरेश और बबिता की बात मोबाइल पर होने लगी.