‘सुधा बारात आने वाली है देखो निधि तैयार हुई की नहीं ......’,हर्ष ने सुधा को आवाज़ लगाते हुए कहा.
सुधा का दिल ये सोच कर बहुत ही ज़ोरों से धडकने लगा की अब मेरी निधि मुझसे दूर हो जाएगी.
सुधा निधि को लेने उसके कमरे की तरफ बढ़ी .निधि को दुल्हन के रूप में देख कर वो एक पल को वहीँ दरवाज़े की ओट में खड़ी हो गयी.
सुधा अपने अतीत की यादों में खो गयी . उसकी यादों का कारवां बरसों पहले जा पहुंचा था. नंदिनी और सुधा बहुत की पक्की दोस्त थी और हो भी क्यूँ न बचपन की दोस्ती जो थी.
जिस शाम सुधा की इंगेजमेंट थी उसी शाम जब नंदिनी सुधा के घर अपने पति हर्ष के साथ आ रही थी तभी उनकी गाडी का बहुत ही भयानक एक्सीडेंट हो गया जिसमे नंदिनी चल बसी.और पीछे छोड़ गयी अपनी हंसती खेलती दुनिया.नंदिनी के दो बच्चे थे विशाल और निधि.दोनों बहुत ही छोटे थे.नंदिनी की मौत के बाद परिवार वालों ने हर्ष से दूसरी शादी का दवाब डाला.
जब सुधा को इस बात का पता चला तो उसने बिना आनाकानी किए हर्ष से शादी के लिए हामी भर दी थी, क्योंकि नंदिनी की असमय मौत के बाद उसे सबसे अधिक चिंता उनके दोनों बच्चों- निधि और विशाल के भविष्य की थी.
नई-नई दुल्हन बनकर आई थी सुधा . अचानक ही उसकी ज़िंदगी में सब कुछ बदल गया था. जिस शख़्स को अब तक अपनी दोस्त के के पति के रूप में देखती आई थी, वो अब उसी की पत्नी बन चुकी थी. चूंकि बच्चे बहुत ही छोटे थे और पहले से ही सुधा से घुले-मिले थे, तो उन्होंने भी उसे अपनी मां के रूप में आसानी से स्वीकार कर पाएंगे.