‘2मिनट में भागेगा कोरोना,’ ‘रातोंरात गायब हुआ कोरोना,’ ‘कोरोना की वैक्सीन तैयार,’ ‘हलदी मारेगी कोरोना को,’ ‘अब घर की चार चीजें कोरोना से लगाएंगी पार,’ ‘उलटे सिर लेट जाओ नहीं होगा कोरोना,’ ‘गोमूत्र में छिपा कोरोना का इलाज,’ ‘इस आसन से आप होंगे कोरोनामुक्त’ इस तरह की खबरें आप आए दिन सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप, यूट्यूब पर देख ही रहे होंगे. सिर्फ देख ही नहीं, उन पर भरोसा कर अमल भी कर रहे होंगे ताकि आप कोरोना से बच सकें, क्योंकि कोई भी इस वायरस की चपेट में आ कर अपनों को नहीं खोना चाहता.

मगर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जितनी तेजी से कोरोना वायरस फैल रहा है, उतनी ही तेजी से सूचनाओं का भी प्रचारप्रसार हो रहा है. बिना देखे, सोचेसमझे सूचनाएं एकदूसरे को फौरवर्ड कर दी जा रही हैं. हरकोई अपने नुसखे बता रहा है, अपनी जानकारी दे रहा है और बिना अपना दिमाग लगाए अधिकांश लोग उन पर अमल भी कर रहे हैं भले ही कोई फायदा हो या न हो. उन्हें सिर्फ इस से मन की संतुष्टि मिल रही है कि इन्हें अमल में लाने से वे बचे रहेंगे, जबकि ऐसा सोचना गलत है. इसलिए सोशल मीडिया पर आई सूचनाओं पर तब तक भरोसा न करें जब तक आप फैक्ट्स को अच्छी तरह न जान लें.

आइए, जानते हैं इस बारे में फरीदाबाद के एशियन इंस्टिट्यूट ओफ मैडिकल साइंसेज की डायटीशियन डॉ विभा व रेसपीएटरी मेडिसन के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ मानव मनचंदा से.

कोरोना वैक्सीन का स्टेटस

इन दिनों ऐसे मैसेज काफी सुनने में आ रहे हैं कि कोरोना की वैक्सीन अगले 1-2 महीनों में आ जाएगी, जबकि सचाई यह नहीं है. अगर कोरोना की वैक्सीन इतनी जल्दी बन सकती तो चिंता की बात ही न होती. हम भी ऐसी सूचनाओं पर बिना सोचेसमझे विश्वास कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि किसी भी वैक्सीन को बनने में कम से कम से 2 साल का समय लगता है.

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