अक्सर कहा जाता है कि जिंदगी में कभी न कभी अवसर आपके दरवाजे पर दस्तक देता है अब उसे कैश करना या न करना आपके प्रयासों पर निर्भर करता है. ऐसा ही अवसर कोरोना के कारण मार्च में हुए लॉक डाउन में कुछ महिलाओं को प्राप्त हुआ .उस अवसर को इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कैश कराया और आज एक सफल आंत्रप्रेन्योर बन चुकीं है. आइये ऐसे ही कुछ उदाहरणों पर नजर डालते हैं-

एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका की नौकरी कर रहीं अस्मिता को लॉक डाउन में जब घर रहने का अवसर मिला तो अपने कुकिंग के शौक को पुनर्जीवित करने का सुअवसर भी प्राप्त हुआ. अपनी सोसाइटी में ही उन्होंने इस दौरान कुछ मिठाइयां और स्नैक्स बनाकर लोंगो की आवश्यकतानुसार घर घर पहुंचाना प्रारम्भ कर दिया. गणेश चतुर्थी के दिन उन्होंने 200 मोदक बनाकर बेचे और गणेशोत्सव के 10 दिनों के दौरान उनके बनाये भांति भांति के मोदक और मिठाइयां न केवल उनकी सोसायटी बल्कि आसपास की सोसाइटीज़ के घरों में भी अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं. लॉक डाउन ने उनकी जिंदगी को 360 डिग्री का टर्न दे दिया है और अब नौकरी को बाय बाय करके वे अपने साथ साथ 10 अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रहीं हैं.

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पुणे की माधवी ने भी लॉक डाउन में अपनी कुकिंग स्किल्स को निखारा और आज जब कि लोग होटल्स और रेस्टोरेंट में जाने से परहेज कर रहे हैं ऐसे में वे घर पर विविधता पूर्ण खाना नाश्ता बनाकर टेक अवे अर्थात पैक करके ले जाने का विकल्प प्रदान कर रहीं हैं. माधवी कहतीं हैं ,"मुझे हमेशा से कुकिंग में इंटरेस्ट रहा है और मैं इसी में कुछ करना चाहती थी और लॉक डाउन ने मुझे ये मौका दे ही दिया. आज मेरे पास आशा से अधिक ऑडर्स मिल रहे हैं, जिनको पूरा करके मुझे अपरिमित खुशी प्राप्त होती है."
इसी प्रकार की कहानी है उज्जैन की अनीता की. कुछ वर्ष पूर्व तक अनीता कुकिंग क्लास चलातीं थीं. यू ट्यूब चैनल्स के अवतरण के बाद से उनकी क्लासेज मंद पड़ने लगीं. उन्होंने भी अपना चैनल प्रारम्भ किया पर उन्हें यह जम नहीं रहा था. तभी लॉक डाउन हो गया. अब जब कि शहर की सारी बेकरीज बंद थी तो कुछ परिचितों ने केक का आर्डर दिया बस यहीं से उनकी गाड़ी निकल पड़ी. लॉक डाउन में जब सब घरों में आराम कर रहे थे अनीता परिवार की मदद से केक के ऑडर्स पूरे करने में लगीं थीं और आज लॉक डाउन के 5 माह बाद उज्जैन शहर के लोग बड़ी दुकानों की अपेक्षा उनका केक लेना ही पसंद करते हैं क्योंकि उनके यहां के केक्स में क्वालिटी, वैरायटी, और साफ सफाई सब कुछ होता है. वे कस्टमर से उनकी थीम पूछकर केक बनातीं हैं. प्रतिदिन 20 से 25 केक बनाकर वे आज जानी मानी आंत्रप्रन्योर बन चुकीं हैं. यही नहीं आर्डर पर पिज्जा और अन्य मिठाइयां भी बनातीं हैं.

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