कोरोना की मार न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य पर पड़ी है, बल्कि इस ने हमें आर्थिक रूप से भी कमजोर बना दिया है. नौकरियां जाने से बेरोजगारी बढ़ी है, सैलरी में कटौती हो रही है, इलाज महंगा हो गया है, घर से बच्चों की पढ़ाई होने के बावजूद स्कूल फीस देने के साथसाथ पेरैंट्स पर नैट की भी ज्यादा मार पड़ रही है. घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो गया है और यह सारा भार अगर परिवार के किसी एक सदस्य पर ही हो तो उसे इसे उठाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में अब नई जैनरेशन डिंक के चलन को ज्यादा तवज्जो देने लगी ताकि वह बच्चों की जिम्मेदारी से बच सके.
क्या है डिंक
अब आप सोच रहे होंगे कि यह डिंक क्या है तो आप को बता दें कि डिंक का मतलब डबल इनकम नो किड्स से है और अब डिंक शब्द हमारी बदलती दुनिया का एक बड़ा हिस्सा बनता जा रहा है, जिस में शादीशुदा कपल्स अपनी जिंदगी में बच्चा नहीं चाहते और जिंदगी को खुल कर जीने में विश्वास रखते हैं. डिंक कोई क्राइम नहीं है, बल्कि यह हर कपल का अपना निजी निर्णय होता है कि वे अपने जीवन में बच्चा नहीं चाहते. कोई उन पर इस के लिए दबाव भी नहीं बना सकता, क्योंकि वे बच्चा पैदा करने से ज्यादा अपने लाइफस्टाइल को और मजबूत बनाने में विश्वास रखते हैं.
कहां से आया डिंक शब्द
डिंक शब्द की उत्पत्ति 1980 में संयुक्त राज्य अमेरिका से हुई, उस के बाद दुनिया के बहुत से देशों ने इसे अपनाना शुरू कर दिया. लेकिन इस सचाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में अभी डिंक को अपनाने वालों की संख्या कम है.