सवाल-
मेरी बेटी 33 साल की है और वह गर्भधारण करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गर्भधारण करने के बेहतर अवसरों के लिए उसे क्या करना चाहिए या क्या खाना चाहिए?
जवाब-
कुछ खाने की चीजों का सेवन करना और दूसरों से बचना कुछ ऐसा है जो आप की बेटी अपने ओवुलेटरी फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए कर सकती हैं. अधिक ट्रांस फैट, कार्ब्स और ऐनिमल प्रोटीन का सेवन करने वाली महिलाओं में आवुलेटरी डिसआर्डर होने की संभावना ज्यादा होती है.
खाने की प्लेट में पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां होनी चाहिए और इस के बाद शरीर को काफी सारा ग्लूटैथियोन दें, जो अंडे की गुणवत्ता के लिए महत्त्वपूर्ण है. हर तरह के ट्रांस फैट से बचें. अधिक जटिल कार्ब्स खाएं. बेहद संसाधित कार्ब्स से बचें. रैड मीट से कम मछली या प्लांट प्रोटीन से ज्यादा प्रोटीन लें. बींस, दाल, बेरी, ऐवाकाडो, ग्रीक योगर्ट, अंडे की जर्दी, सामन, अखरोट, पत्तेदार सब्जियां, दूध व अन्य फुल फैट वाली डेयरी फूड आइटम्स खाएं जैसे दही और पनीर. रोज एक मल्टीविटामिन लें, जिस में कम से कम 400 माइक्रोग्राम फौलिक ऐसिड और 40 से 80 मिलीग्राम आयरन हो.
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मां बनने का एहसास हर महिला के लिए सुखद होता है. लेकिन यदि किसी कारण से एक महिला मां के सुख से वंचित रह जाए तो उसके लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. हालांकि, कंसीव न कर पाने के कई कारण होते हैं लेकिन यह एक महिला के जीवन को बेहद मुश्किल और दुखद बना देता है. दरअसल, हमारे देश में आज भी बांझपन को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है. इसका प्रकोप सबसे ज्यादा महिलाओं को झेलना पड़ता है. जब भी कोई महिला बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है तो समाज उसे हीन भावना से देखने लगता है. इस कारण से एक महिला को लोगों की खरी-खोटी सुननी पड़ती है जिसका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. ऐसी महिलाएं उम्मीद करती हैं कि लोग उनकी स्थित और भावनाओं को समझेंगे. परिवार और दोस्तों से बात करके उन्हें कुछ हद तक अच्छा महसूस होता है इसलिए ऐसे समय में बाहरी लोगों से मिलने-जुलने से बचें क्योंकि गर्भवती महिला या बच्चों को देखकर आप डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं.