अमन अभी घर में पैर रखने ही जा रहा था कि रचना चीख पड़ी. “बाहर........ बाहर जूता खोलो. अभी मैंने पूरे घर में झाड़ू-पोंछा लगाया है और तुम हो की जूता पहनकर अंदर घुसे जा रहे हो.“
“अरे, तो क्या हो गया ? रोज तो आता हूँ” झल्लाते हुए अमन जूता बाहर ही खोलकरजैसे ही अंदर आने लगा, रचना ने फिर उसे टोका.
“नहीं, बैठना नहीं, जाओ पहले बाथरूम और अच्छे से हाथ-मुंह-पैर सब धोकर आओ और हाँ, अपना मोबाइल भी सेनीटाइज़ करना मत भूलना. वरना, यहाँ-वहाँ कहीं भी रख दोगे और फिरपूरे घर में इन्फेक्शन फैलाओगे” रचना की बात पर अमन ने उसे घूर कर देखा.‘हुम्म, घूर तो ऐसे रहे हैं जैसे खा ही जाएंगे. एक तो इस कोरोना की वजह से बाई नहीं आ रही है. सोसायटी वालों की तरफ से सख़्त मनाही है और ऊपर से इनकी नावाबी देखो.जैसे मैं इनके बाप की नौकर...........ये नहीं होता जरा की काम में मेरी थोड़ी हेल्प कर दें. नहीं, उल्टेकाम को और बढ़ा कर रख देते हैं. कहीं जूता खोल कर रख देंगे, कहीं भिंगा तौलिया फेंक आएंगे. कितनी बार कहा, हाथ धो कर फ्रिज या किचन का कोई समान छुआ करो.लेकिन नहीं, समझ ही नहीं आता इन्हें. बेवकूफ कहीं के.‘ अपने मन में ही भुनभुनाई रचना.
“हुं.....बड़ी आई साफसफाई पर लेक्चर देने वाली.समझती क्या है अपने आप को? जैसे इस घर की मालकिन यही हो. हाँ, करूंगा, जैसा मेरा मन होगा करूंगा.’ अमन भन्नाता हुआ अपने कमरे में घुस गया और दरवाजा भीडका दिया.
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‘वैसे, गलती इन मर्दों की भी नहीं है. गलती है उन माँओं की, जो बेटियों को तो सारी शिक्षा, संस्कार दे डालती है, पर अपने बेटों को कुछ नहीं सिखातीं, क्योंकि उन्हें तो कोई जरूरत ही नहीं है न सीखने की. बीबी तो मिल ही जाएगी बना कर खिलाने वाली’ अमन को भुनभुनाते देख, वह भी चुप नहीं रह पाई और बोल दिया जो मन में आया. बहुत गुस्सा आ रहा था उसे आज.कहा था अमन से, लॉकडाउन की वजह से बाई कुछ दिन काम पर नहीं आएगी, तो वह उसकी मदद कर दिया करे काम में, क्योंकि उसे और भी काम होते हैं. ऊपर से अभी ऑफिस का काम भी उसे घर से करना पड़ रहा है, तो समय नहीं मिल पाता है. लेकिन अमन ने ‘तुम्हारा काम है तुम जानो. मुझसे नहीं होगा’ कह कर बात वहीं खत्म कर दी,तो गुस्सा तो आयेगा ही न? क्या वह अकेली रहती है इस घर में ? जो सारे कामों की ज़िम्मेदारी उसकी ही है ?आखिर वह भी तो नौकरी करती है बाहर जाकर. यह बात अमन क्यों नहीं समझता.खाना खाते समय भी दोनों में घर के काम को लेकर बहस शुरू हो गई. रचना ने सिर्फ इतना कहा कि घर के कुछ समान लाने थे. अगर वह ले आता तो अच्छा होता. वह गई थी दुकान राशन का सामान लाने, पर वहाँ बड़ी लंबी लाइनें लगी थी इसलिए वापस चली आई.