किसी का दर्द उस से देखा नहीं जाता था, खासतौर पर लड़कियों का. मसाज का वक्त खत्म हो गया था. मनोज केबिन से निकलने के लिए कपड़े पहनने लगा. जूली का चेहरा उदास सा था, आंखें भरी हुई थीं.
‘‘पता नहीं क्यों, आप से मिलना बहुत अच्छा लगा. आप और लोगों से बहुत अलग हैं. मैं ने सुना था कि भारतीय लोग चरित्र और मन से बहुत सच्चे और अच्छे होते हैं. आज आप के रूप में देख भी लिया.’’
मनोज अपनी तारीफ सुन कर खुश हो गया.
‘‘अब आप से फिर मुलाकात कब होगी? आप पटाया में कब तक हैं?’’ जूली ने आतुर स्वर में पूछा.
‘‘अभी तो मैं 3 दिनों तक यहीं हूं. आज मीटिंग के बाद शाम को फ्री हूं,’’ मनोज ने बताया.
जूली की आंखों में चमक आ गई, ‘‘तो आज शाम को मिल सकते हो क्या?’’ उस ने आग्रहभरे स्वर में पूछा.
‘‘हां, ठीक है. शाम को 6 बजे मिलता हूं,’’ मनोज ने कहा तो जूली खुश हो गई. उस ने मनोज का मोबाइल नंबर ले लिया और अपना उसे दे दिया. जूली से विदा हो कर मनोज बाहर आ गया.
भावेश और सुरेश पहले से ही बाहर उस की राह देख रहे थे. उसे देखते ही दोनों आपस में रहस्यमय ढंग से एकदूसरे को देख कर मुसकराए.
‘‘क्यों बे, तू तो आने को तैयार नहीं था और अब सब से ज्यादा देर अंदर तू ही बैठा रहा,’’ भावेश ने उस की चुटकी ली.
‘‘क्या कर रहा था अंदर? मालिश या और कुछ?’’ सुरेश ने आंख दबाते हुए मनोज की चुटकी ली.
मनोज झेंप गया, ‘‘अरे यार, तुम लोग जैसा समझ रहे हो वैसा कुछ नहीं है.’’