वैशाली बड़ी मुश्किल से उठ कर बैठी, ट्रे पर नजर डाली, वहीं अपने पास बैठे बेटे से नजर मिली तो वह दिल खोल कर हंसा, ‘‘लो मां, अपनी बहू का पहली बार बनाया नाश्ता करो.’’
एक कप चाय और एक प्लेट में मैगी देख कर वैशाली मुसकराते हुए बोली, "मैगी, तुम्हें आती है बनानी?’’
अंजलि ने गर्व से बताया, ‘‘वो मम्मा, हम सब फ्रैंड्स कभी एकसाथ स्लीपओवर के लिए किसी के घर रुकते थे, तो रात में मैगी बना कर खाते थे.’’
विपिन ने उसे छेड़ते हुए कहा, ‘‘मां, किसी बहू ने अपनी सास को पहली बार मैगी खिलाई होगी?’’
वैशाली ने प्यार से बेटे को डांटा, "तुम चुप रहो. और अंजलि, यह तुम्हारे लिए आज पहली बार कुछ बनाने का शगुन," कह कर अपने पर्स से 2,000 के 2 नोट निकाल कर अंजलि के हाथ पर रखे, तो अंजलि ने झट से वैशाली को उस पर ढेर सा प्यार आया और फिर वह मैगी खाने लगी.
विपिन ने महेश को फोन पर आज की घटना के बारे में बता दिया था. वैशाली को दवाई खिलाते हुए विपिन ने कहा, ‘‘आप अब लेट जाओ, मां.’’
‘‘बेटा, नीता से उस की मेड के बारे में पूछ आओ, किसी को तो काम के लिए बुलाना ही होगा, मैं ठीक थी तो किसी तरह कर ही लेती लतिका के बिना, अभी तो हिलने में भी दर्द है.’’
‘‘नहीं मम्मा, मैं कर लूंगी,’’ वैशाली की आंखें फटी की फटी रह गईं, 'क्या है यह लड़की, कभी कुछ नहीं किया, कुछ आता नहीं, क्या करेगी, क्या सोचेंगे इस के मांबाप, कैसा ससुराल है उन की राजकुमारी जैसी बेटी का...'