इस तरह के विचार मन में आने के बाद शारदा कोशिश करने के बाद भी खुशबू के प्रति अपने व्यवहार को सामान्य नहीं कर पा रही थीं. यह बात जैसे आहिस्ताआहिस्ता शारदा के मन में घर बना रही थी कि 7 वर्ष पहले शायद नर्सिंगहोम में उस के बच्चे को भी बदल कर किसी दूसरे को दे दिया गया. अगर ऐसा हुआ था तो उस ने अवश्य एक बेटे को ही जन्म दिया होगा.
मन में उठने वाले इन विचारों ने जैसे शारदा के जीवन का सारा सुखचैन ही छीन लिया.
अपने मन में चल रहे विचारों के मंथन को शारदा अपने पति रमाकांत से छिपा नहीं सकी थी. उन ने बोलीं कि मैं ने भी तो अपने तीसरे बच्चे को इसी नर्सिंगहोम में जन्म दिया था. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि औरों की तरह मैं ने भी कहीं धोखा ही खाया हो? खुशबू वास्तव में हमारी बच्ची न हो?’’
शारदा की बात सुन रमाकांत स्तब्ध रह गए, ‘‘उन्हें इस तरह की बातें नहीं सोचनी चाहिए. ऐसी बातों का अब कोई मतलब नहीं. 7 साल बीत चुके हैं. ऐसी बातें सोचने से हमारी ही परेशानी बढ़ेगी,’’ रमाकांत ने उन्हें सम झाने की कोशिश की.
‘‘मैं चाह कर भी इस शक को अपने मन से निकाल नहीं सकती. क्या तुम्हें नहीं लगता कि 7 साल पहले हमारे साथ जो कुछ भी हुआ था अजीब हुआ था? अपने दिल पर जरा हाथ रख कर कहो मैं जो भी कह रही हूं गलत कह रही हूं? तुम कह सकते हो कि पंडित और ज्योतिषयों ठोंग करते हैं. उन की बातें झूठी होती हैं. मगर क्या मशीनें भी झूठ बोलती हैं? मैडिकल साइंस भी अंधी है?’’