रघुवीर ने अपनी बहन माधवी से सारे रिश्ते खत्म कर लिए थे. बेकुसूर होते हुए भी माधवी ने चुपचाप वर्षों भाई का यह सितम सहा. लेकिन आज उस ने ठान ली थी कि वह अपनी बेटी का कन्यादान भाई के हाथों ही करवाएगी.