नवल का गुस्सा देख रिनी सहम गई कि मां ने तो समझा कर छोड़ दिया पर पापा तो जान ही ले लेंगे उस
की, क्योंकि नवल का गुस्सा वह अच्छी तरह जानती थी.
अब नवल की नींद और उड़ गई. सोचने लगा जवान लड़की है. अगर कदम
बहक गए तो क्या होगा? सचेत तो किया था आभा ने कितनी बार, पर वही उस की बात को आईगई कर दिया करता था. पता चला कि रिनी अपने ही कालेज के एक लड़के से प्यार करती है और उस से छिपछिप कर मिलती है. आभा के समझाने के बाद भी जब वह लड़का रिनी से मिलता रहा, तो वह उस के घर जा कर वार्निंग दे आईर् कि अगर फिर कभी दोबारा वह रिनी से मिला या फोन किया, तो पुलिस में शिकायत कर देगी. रिनी को भी उस ने खूब फटकार लगाई थी. कहा था कि अगर नहीं मानी, तो नवल को बता देगी. तब रिनी का ध्यान उस लड़के से हट गया था, लेकिन आभा के न रहने पर वह फिर मनमानी करने लगी थी.
जो बाबा आभा के डर से घर में आना बंद कर चुका था, क्योंकि वह अंधविश्वास विरोधी थी, वह फिर से उस के घर में डेरा जमाने लगा. घर की सुखशांति के नाम पर वह हर दिन कोई न कोई पूजापाठ, जपतप करवाता रहता और निर्मला से पैसे ऐंठता. समझाता कि उस के घर पर किसी का बुरा साया है. कितनी बार कहा नवल ने कि ये सब फालतू की बातें हैं. न पड़ें वे इन बाबाओं के चक्कर में. मगर निर्मला कहने लगी कि वह तो घर की सुखशांति और आभा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ही ये सब कर रही है.