लेखक-नीरज कुमार मिश्रा
राजवीर सिंह की शानोशौकत देख कर रिया सोचती कि निहारिका कितनी खुशकिस्मत है, जो इसे बड़ा और अमीर परिवार मिला. उस के मन में भी कहीं न कहीं राजवीर सिंह जैसा पति पाने की उम्मीद जग गई थी.
‘‘ये लो... तुम्हारा बर्थडे गिफ्ट,‘‘ राजवीर सिंह ने एक सुनहरा पैकेट रिया की और बढ़ाते हुए कहा.
‘‘ओह, ये क्या... लैपटौप... अरे, वौव जीजू... मुझे लैपटौप की सख्त जरूरत थी. आप सच में बहुत अच्छे हो जीजू...‘‘ रिया खुशी से चहक उठी थी.
राजवीर को पता था कि रिया को अपनी पढ़ाई के लिए एक लैपटौप चाहिए था, इसलिए आज उस के जन्मदिन पर उसे गिफ्ट दे कर खुश कर दिया था राजवीर ने.
रात को अपने कमरे में जा कर लैपटौप औन कर के रिया गेम्स खेलने लगी. कुछ देर बाद उस की नजर लैपटौप में पड़ी एक ‘निहारिका‘ नाम की फाइल पर पड़ी, तो उत्सुकतावश रिया ने उसे खोला. वह एक ब्लू फिल्म थी, जो अब लैपटौप की स्क्रीन पर प्ले हो रही थी.
पहले तो रिया को कुछ हैरानी हुई कि नए लैपटौप में ये ब्लू फिल्म कैसे आई, पर युवा होने के नाते उस की रुचि उस फिल्म में बढ़ती गई और फिल्म में आतेजाते दृश्यों को देख कर वह भी उत्तेजित होने लगी.
यही वह समय था, जब कोई उस के कमरे में आया और अपना हाथ रिया के सीने पर फिराने लगा था.
रिया ने चौंक कर लैपटौप बंद कर दिया और पीछे घूम कर देखा तो वह राजवीर था, ‘‘व ...वो ज... जीजाजी, वह लैपटौप औन करते ही फिल्म...‘‘
‘‘अरे, कोई बात नहीं... तुम खूबसूरत हो, जवान हो, तुम नहीं देखोगी, तो कौन देखेगा... वैसे, तुम ने उस दिन मुझे और निहारिका को भी एकदूसरे को किस करते देख लिया था,‘‘ राजवीर ने इतना कह कर रिया को अपनी मजबूत बांहों में जकड़ लिया और उस के नरम होंठों को चूसने लगा.