कपिल हिसाब की कौपी देख कर दंग रह गया. इतना अधिक खर्चा? यह तो 1 महीने का ही हिसाब है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो दिवाला ही निकल जाएगा.
पिछले 1-2 महीनों से कपिल देख रहा था कि जबतब शालू एटीएम से पैसे निकाल कर भी खर्च कर लेती थी. एटीएम नहीं जा पाती तो कपिल से पैसे मांग लेती थी. शुरू में तो कपिल यही सोच कर टालता रहा कि नईनई शादी है और शालू ने पहली बार गृहस्थी संभाली है, शायद इसीलिए खर्चों का हिसाब नहीं बैठा पा रही. खुद उसे भी कहां अंदाजा था. संयुक्त परिवार में खर्चा मां और बाबूजी चलाते थे. लेकिन हर महीने वेतन से ज्यादा खर्च तो पानी सिर के ऊपर जाने वाली बात हो गई. कपिल दुविधा में था. आखिर इतने पैसे कहां खर्च कर रही शालू?
कुछ दिन पहले ही उन दोनों की शादी हुई थी. कानपुर स्थानांतरण के बाद भी शुरूशुरू के 1-2 महीनों तक तो हिसाब सही चला, पर धीरेधीरे कपिल को महसूस होने लगा कि खर्चा कुछ ज्यादा हो रहा है. उस ने शालू को खर्चों के बारे में सावधान रहने के लिए इशारा भी किया, पर शालू ने इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया. कपिल को थोड़ी सी झल्लाहट हुई. बिजनैसमैन की बेटी है. ज्यादा कमाई है. शायद उसे अंदाजा ही नहीं होगा कि बंधीबंधाई कमाई से खर्चा कैसे चलाया जाता है. शादी से पहले उसे इसी बात का तो डर था.
कपिल के मांबाप शालू को पहले ही देख आए थे. शहर में शालू के पिता का नाम था. जितना बड़ा नाम उतनी ही बड़ी कोठी. शालू सुंदर थी, शिष्ट थी, पढ़ीलिखी थी. उन्हें पहली ही नजर में शालू पसंद आ गई थी. लेकिन कपिल थोड़ा असमंजस में था. उस ने ऐसे कई किस्से सुन रखे थे, जहां बड़े घर की लड़की बंधीबंधाई आमदनी से गुजारा नहीं कर पाती और खर्चों को ले कर रोज लड़ाईझगड़े होते हैं. कुछ मामलों में तो नौबत तलाक तक पहुंच जाती है.