अगले दिन वे कालेज की सीढि़यां चढ़ रहे थे, उसी समय प्रोफैसर रंजन तेजी से उन की तरफ आए, ‘क्यों अनिरुद्धजी, श्रेयसी तो आप के किसी रिलेशन में है न. आजकल रौबर्ट के साथ उस के बड़े चरचे हैं?’ अनिरुद्ध कट कर रह गए, उन्हें तुरंत कोई जवाब न सूझा. धीरे से अच्छा कह कर वे अपने कमरे में चले गए थे.
उसी शाम रौबर्ट और श्रेयसी को फिर से साथ देख कर उन का माथा ठनका था. वे रौबर्ट के मातापिता से मिलने के लिए शाम को अचानक रौबर्ट के घर पहुंच गए. रौबर्ट उन्हें अपने घर पर आया देख, थोड़ा घबराया, परंतु उस के पिता मैथ्यू और मां जैकलीन ने खूब स्वागतसत्कार किया. मैथ्यू रिटायर्ड फौजी थे. अब वे एक सिक्योरिटी एजेंसी में मैनेजर की हैसियत से काम कर रहे थे. जैकलीन एक कालेज में इंगलिश की टीचर हैं. गरमगरम पकौडि़यों और चटनी का नाश्ता कर के अनिरुद्ध का मन खुश हो गया था.
वे प्रसन्नमन से गुनगुनाते हुए अपने घर पहुंचे. ‘क्या बात है? आज बड़े खुश दिख रहे हैं.’
‘मंजू, आज रौबर्ट की मां के हाथ की पकौडि़यां खा कर मजा आ गया.’
‘आप रौबर्ट के घर पहुंच गए क्या?’
‘हांहां, बड़े अच्छे लोग हैं.’
‘आप ने उन लोगों से श्रेयसी के बारे में बात कर ली क्या?’
‘तुम तो मुझे हमेशा बेवकूफ ही समझती हो. तुम्हारे आदरणीय भाईसाहब की अनुमति के बिना भला मैं कौन होता हूं, किसी से बात करने वाला? लेकिन अब मैं ने निश्चय कर लिया है कि एक बार तुम्हारे भाईसाहब से बात करनी ही पड़ेगी.’ मंजुला नाराजगीभरे स्वर में बोली, ‘देखिए, आप को मेरा वचन है कि आप इस पचड़े में पड़ कर उन से बात न करें. आप मेरे भाईसाहब को नहीं जानते, किसी को बुखार भी आ जाए तो सीधे अपने महाराजजी के पास भागेंगे. उन के पास जन्मकुंडली दिखा कर ग्रहों की दशा पूछेंगे. उन से भभूत ला कर बीमार को खिलाएंगे और घर में ग्रहशांति की पूजापाठ करवाएंगे. डाक्टर के पास तो वे तब जाते हैं जब बीमारी कंट्रोल से बाहर हो जाती है.