‘‘अभी गरम कर देता हूं. मूंग छिलके वाली दाल के साथ चावल बनाए हैं. आप भी लीजिए,’’ रितेश ने कहा.
‘‘मैं अपना टिफिन लाई हूं. आप आराम कीजिए, मैं खाना गरम कर देती हूं.’’
खाना खाते समय रिया ने रितेश से पारिवारिक प्रश्न पूछ ही लिया, ‘‘सर, आप की तबीयत ठीक नहीं है, अपने घर से किसी को बुला दीजिए.’’
‘‘बूढ़े मातापिता को मैं तकलीफ नहीं देना चाहता हूं. दोचार दिन में ठीक हो जाऊंगा. बहनभाई अपने परिवार के साथ दूसरे शहर में रहते हैं. अब बुखार तो उतर ही गया है.’’
‘‘आप के मातापिता कहां रहते हैं?’’
‘‘बड़े भाई के साथ रहते हैं.’’
‘‘आप विवाह कर लीजिए, एक से दो भले,’’ रिया की बात सुन कर रितेश मुसकरा दिया और खाना खाने के बाद बोला, ‘‘विवाह के कारण ही यहां अकेला रह रहा हूं.’’
‘‘आप की पत्नी अलग रहती है?’’
‘‘मेरा पत्नी से तलाक हो गया है. 4 साल पहले मेरा रीमा से विवाह हुआ था. मैं भी आर्किटेक्ट और रीमा भी आर्किटेक्ट. हम दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे.
"उस समय हम कोलकाता में काम करते थे. विवाह के एक महीने बाद ही रीमा अपने मायके गुवाहाटी गई और लौट कर नहीं आई.
"मैं ने उसे बुलाया, गुवाहाटी भी कर्ई बार लेने गया, पर वह मेरे साथ रहने को तैयार नहीं हुई. 6 महीने के प्रयास के बाद मैं ने थक कर बिना किसी कारण के रीमा का परित्याग करने पर हिंदू मैरिज ऐक्ट के अंतर्गत तलाक ले लिया. पिछले वर्ष कोर्ट ने तलाक पर मुहर लगा दी और मैं कोलकाता छोड़ कर दिल्ली आ गया.’’
‘‘कोई कारण तो अवश्य होगा?’’