दीपाली सुंदर थी, युवा थी. प्रणय भी सजीला था, नौजवान था. दोनों पहलेपहल कालेज की कैंटीन में मिले, आंखें चार हुईं और फिर चोरीछिपे मुलाकातें होने लगीं. दोनों ने उम्रभर साथ निभाने के वादे किए.
प्रणय की पढ़ाई समाप्त हो चुकी थी. वह उच्चशिक्षा के लिए शीघ्र ही अमेरिका जाने वाला था. दीपाली से 2-3 साल दूर रहने की कल्पना से वह बेचैन हो गया. सो, उस ने प्रस्ताव रखा, ‘‘चलो, हम अभी शादी कर लेते हैं.’’
दोनों कालेज की कैंटीन में बैठे हुए थे.
‘‘शादी? उंह, अभी नहीं,’’ दीपाली बोली.
‘‘क्यों नहीं? हमारी शादी में क्या रुकावट है? तुम भी बालिग हो, मैं भी.’’
‘‘तुम समझते नहीं. मेरी बड़ी बहन सोनाली अभी तक कुंआरी बैठी हैं और वे मुझ से 5 साल बड़ी हैं. मेरे मातापिता कहते हैं कि जब तक उस की शादी न हो जाए, मेरी शादी का सवाल ही नहीं उठता.’’
प्रणय सोच में पड़ गया. कुछ क्षण रुक कर बोला, ‘‘अभी तक सोनाली की शादी क्यों नहीं हुई? क्या वे बदसूरत हैं या कोई नुक्स है उन में?’’
दीपाली खिलखिलाई, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है, दीदी बहुत सुंदर हैं.’’
‘‘तुम से भी ज्यादा?’’ प्रणय ने चौंकते हुए पूछा.
‘‘अरे, मैं तो उन के सामने कुछ भी नहीं हूं. दीदी बहुत रूपवती हैं, पढ़ीलिखी हैं, स्मार्ट हैं, कालेज में पढ़ाती हैं. उन के जोड़ का लड़का मिलना मुश्किल हो रहा है. दीदी लड़कों में बहुत मीनमेख निकालती हैं. अब तक बीसियों को मना कर चुकी हैं. मेरी मां तो कभीकभी चिढ़ कर कहती हैं कि पता नहीं, कौन से देश का राजकुमार इसे ब्याहने आएगा.’’
‘‘तब हमारा क्या होगा, प्रिये?’’ प्रणय ने हताश हो कर कहा, ‘‘3 महीने बाद मैं अमेरिका चला जाऊंगा. फिर पता नहीं कब लौटना हो. क्या तुम मेरी जुदाई सह पाओगी? मैं तो तुम्हारे बगैर वहां रहने की सोच भी नहीं सकता.’’