‘‘नहीं पापा, आप ऐसा नहीं कर सकते. आप ने मु झ से वादा किया था कि आप मेघा के पापा की तरह मु झे हर्ट करने के लिए नई मम्मी ले कर नहीं आओगे,’’ प्रज्ञा ने नाराज स्वर में कहा.
‘‘बेटा मैं मानता हूं मेघा की नई मम्मी अच्छी नहीं थी पर तेरी नई मम्मी बहुत अच्छी हैं. तु झे इतना प्यार करेंगी जितना तेरी अपनी मां भी नहीं करती होंगी,’’ प्रवीण ने बेटी को सम झाने की कोशिश की.
‘‘मैं यह बात कैसे मान लूं डैड? सारी सौतेली मांएं एक सी होती हैं.’’
‘‘चुप कर प्रज्ञा ऐसे नहीं कहते पता नहीं किस ने तेरे दिमाग में ऐसी बातें भर दी हैं,’’ प्रवीण ने झल्लाए स्वर में कहा.
‘‘दूसरी बातें छोड़ो पापा, जरा अपनी उम्र तो देखो मेरी सहेलियां क्या कहेंगी जब उन्हें पता चलेगा कि मेरे पापा दूल्हा बन रहे हैं. कितना मजाक उड़ाएंगी वे. मेरा.’’
प्रवीण अभी अपनी बिटिया प्रज्ञा को सम झाने की कोशिश कर ही रहा था कि तब तक श्वेता भी अपनी मां पर बिफर पड़ी, ‘‘मम्मी, आप ने पापा से तलाक लिया, मु झे उन से दूर कर दिया पर मैं ने कुछ भी नहीं कहा क्योंकि मैं आप को दुखी नहीं देख सकती थी. पर आज आप ने मेरे आगे किसी अजनबी को ला कर खड़ा कर दिया और कह रही हो कि ये तुम्हारे पापा हैं. मम्मी आप की यह बात मैं नहीं मान सकती. बोल दीजिए इन से मैं इन्हें कभी भी पापा का दर्जा नहीं दे सकती,’’ कहतेकहते श्वेता रोने लगी तो अमृता ने उसे बांहों में समेट लिया.