अंतिम स्तंभ: बहू के बाद सास बनने पर भी क्यों नहीं बदली सुमेधा की जिंदगी
सुमेधा बहू के रूप में सास से दबती रही और जब खुद सास बनी तो बहू के तेवर सहती रही. एक तरह से पूरी जिंदगी उस का कंधा झुका ही रहा. परिवार का स्थायी स्तंभ बन कर भी क्या अधिकार नाम की चीज थी उस के पास?