साराऔफिस खाली हो चुका था पर विजित अपनी जगह पर उल झा हुआ सा सोच में बैठा था. वह बहुत देर से तन्वी को फोन करने की सोच रहा था पर जितनी बार मोबाइल हाथ में उठाता, उतनी बार रुक जाता. क्या कहेगा तन्वी से, वही जो कई बार पहले भी कह चुका है?
पिछले काफी समय से तन्वी से उस की बात नहीं हुई थी. लेकिन आज तो वह बात कर के ही रहेगा. उस ने मोबाइल फिर उठाया और नंबर मिला दिया. उधर से तन्वी की हैलो सुनाई दी.
‘‘तन्वी...’’ विजित की आवाज सुन कर तन्वी पलभर के लिए चुप हो गई. फिर तटस्थ स्वर में बोली, ‘‘हां बोलो विजित...’’
‘‘तन्वी एक बार फिर सोचो, सब ठीक हो जाएगा... इतनी जल्दबाजी अच्छी नहीं है... आखिर तुम्हें मु झ से तो कोई शिकायत नहीं है न... बाकी समस्याएं भी सुल झ जाएंगी... कुछ न कुछ हल निकालेंगे उन का... तुम वापस आ जाओ... ऐसा मत करो... ऐसा क्यों कर रही हो तुम मेरे साथ...’’ बोलतेबोलते विजित का स्वर नम हो गया था.
‘‘पिछले 2 सालों से तुम समस्या को नहीं सुल झा पाए विजित तो आगे क्या सुल झाओगे... मैं ऐसे घुटघुट कर और तनाव भरे माहौल में जिंदगी नहीं काट सकती... पूरी जिंदगी ऐसी नहीं जी पाऊंगी मैं... माफी चाहती हूं तुम से...’’ कहतेकहते तन्वी का स्वर भी भीग गया था.
उस ने फोन रख दिया. विजित खामोश आंखों से ठंडे फोन को घूरता रह गया. 2 साल हो गए थे विजित के विवाह के और पिछले 1 साल से तन्वी मायके में थी. तन्वी से जब उस की रिश्ते की बात चल रही थी तो उस बीच वे दोनों काफी बार मिले थे.