पहली मुलाकात के करीब 3 सप्ताह बाद एक दोपहर अंजलि ने औफिस से
महिमा के यहां फोन कर के बातें करीं, ‘‘मैं तुम से एक प्रार्थना कर रही हूं. तुम उस का बुरा न मानना, प्लीज.’’
अंजलि की आवाज में नाराजगी व शिकायत के भाव पढ़ कर महिमा मुसकराने लगी, ‘‘दीदी, आप की कैसी भी बात का मैं बुरा कैसे मान सकती हूं. आप प्रार्थना न करें बल्कि मु?ो आदेश दें,’’ महिमा ने भावुक लहजे में जवाब दिया.
‘‘महिमा, तुम मेरे पीछे दिन में मेरी मां से मिलने मत जाया करो, प्लीज.’’
‘‘ऐसा मत कहिए, दीदी. उन से मिल कर मेरा दिल बड़ा अच्छा महसूस करता है.’’
‘‘देखो, उन की तबीयत ठीक नहीं रहती है. दोपहर को उन्हें आराम न मिले, तो उन का सिर दर्द करने लगता है. तुम प्लीज...’’
‘‘नहीं दीदी, आप उन से मिलने की मेरी खुशी मु?ा से मत छीनिए. मैं आगे से और कम देर बैठा करूंगी, पर बिलकुल न जाने का आदेश आप मु?ो मत दीजिए.’’
‘‘नहीं, तुम्हें उन से मिलने नहीं जाना है. उन्हें तुम्हारी बातें पसंद नहीं आती हैं,’’ अंजलि की आवाज गुस्से से भर उठी.
‘‘मैं उन से भी गलत नहीं बोली हूं, दीदी,’’ महिमा ने विरोध प्रकट किया.
‘‘तुम मेरी शादी की बातें करती हो... सौरभ और मेरे बारे में सवालजवाब करती हो, मेरे भैयाभाभी को लानतें देती हो, तो उन का मन
दुखी और परेशान होता है. वे तुम से मिलना
नहीं चाहती हैं और तुम मेरे पीछे मेरे घर नहीं जाओगी, बस.’’
अंजलि के सख्त स्वर के ठीक उलट महिमा ने मीठे स्वर में जवाब दिया, ‘‘दीदी, मैं आप की बात नहीं मान सकती क्योंकि मु?ो भी खुशी और शांति से जीने का अधिकार है. मु?ो आप की मां व आप से मिल कर मन की शांति मिलती है. जैसे आप मेरे कहने भर से सौरभ से मिलना बंद नहीं कर सकतीं, वैसे ही मैं भी आप के घर जाना नहीं बंद करूंगी. पत्नी पति की प्रेमिका को हमेशा से ?ोलती आईर् है, तो प्रेमिका को भी पत्नी को सहन करने की आदत डालनी चाहिए. अब चाह कर भी मु?ो अपनी व अपनी मां की जिंदगी से काट नहीं सकेंगी क्योंकि मैं दूर हो कर पागल हो जाऊंगी. आप ऐसा करने की कोशिश न खुद करना, न सौरभ से कराना, प्लीज.’’