आधुनिकता की चकाचौंध में अनिता को ऐसे पंख लगे कि वह उड़ती चली गई. मगर जब यथार्थ से आमनासामना हुआ तो उसे अपना सब कुछ लुटता सा नजर आया, और फिर एक दिन.