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श्रद्धा की आदतों और हरकतों से चिढ़ने वाली सास, ननद और भाभियां धीरेधीरे उसी के रंग में रंगती चली गईं. अब वे भी अकसर कार अवौइड कर देतीं. घर की पार्किंग में महंगी कारों के साथ अब छोटी कारें भी खड़ी हो गईं. सास और भाभियां कई बार उस के साथ लैक्चर अटैंड करने पहुंचने लगीं. उन्हें भी सम  झ आ रहा था कि किट्टी पार्टीज में गहनेकपड़ों का शो औफ करने या बिचिंग करने में समय बरबाद करने के बजाय बहुत अच्छा है नई बातें जानना और जीवन को दिशा देने वाले लैक्चर व सेमिनार अटैंड करना, ज्ञान बढ़ाना, किताबें पढ़ना और कलादीर्घा जैसी जगहों में जाना.

श्रद्धा ने कुछ किताबें और पत्रिकाएं खरीद उन्हें अपने कमरे की एक छोटी सी अलमारी में करीने से लगा दिया था. पर धीरेधीरे जब किताबों और पत्रिकाओं की संख्या बढ़ने लगी तो अमन के कहने पर उस ने घर के एक कमरे को एक छोटी सी लाइब्रेरी का रूप दे दिया और सारी किताबें व पत्रिकाएं वहां सजा दीं. अब तो परिवार के दूसरे सदस्य भी आ कर वहां बैठते और शांति व सुकून के साथ पत्रिकाएं और किताबें पढ़ते.

श्रद्धा से प्रभावित हो कर घर धीरेधीरे घर का माहौल बदलने लगा था. दोनों भाभियों ने कुक को हटा कर खुद ही किचन का काम संभाल लिया तो सास ने भी घर के माली का हिसाब कर दिया. अब सासबहू मिल कर गार्डनिंग करते. श्रद्धा की देखादेखी भाभियां खुद कपड़े धोने, प्रैस करने और घर को व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारियां निभाने लगी थीं. तुषिता भी अपने छोटेमोटे सारे काम खुद निबटा लेती.

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