‘‘मिहिका तुम्हें याद है अब तक?’’ मुसकराते हुए पारिजात बोला, ‘‘अचल, स्विट्जरलैंड में रहते हुए शायद ही कोई ऐसा दिन था जब मुझे पुदीनेअदरक की चाय याद नहीं आई हो. कम से कम एक वीक तक लगातार रोज आऊंगा चाय पीने, तभी मेरी तलब शांत होगी. थैंक यू मिहिका.’’
अचल खिसियानी हंसी हंस दिया. मिहिका के मन की सूखी रेत आज बहुत
दिनों बाद अचानक स्नेह के कतरे से नम हो गई. रात को सोने से पहले उस नम रेत पर हृदय स्पंदन बारबार एक नाम उकेर रहा था-पारिजात.
अचल की पीनेपिलाने और दोस्तों संग वक्त बिताने की आदत से पारिजात वाकिफ था, लेकिन उस का व्यवहार पत्नी के प्रति इतना शुष्क व कर्कश हो गया होगा ऐसा उस ने कभी नहीं सोचा था. अपने घर पहुंच कर आज का दृश्य उस की आंखों के सामने कौंधता रहा. ‘‘कैसा व्यवहार करता है अचल मिहिका के साथ. मैं ने तो इसे सदा हंसते हुए ही देखा था. अचल के साथ विवाह कर शायद भूल कर दी इस मिहिका ने, सोचते हुए पारिजात को नींद आ गई.
पारिजात के मन में उस दिन से मिहिका के प्रति सहानुभूति व स्नेह जाग उठा. मिहिका जब नई ब्याहता थी तब से वह देखता आ रहा था कि मिहिका अचल के प्रति कितनी समर्पित थी. इन दिनों 2-3 बार अचल के घर जाने के बाद पारिजात से मिहिका की घुटन छिप नहीं सकी. वह सोच रहा था कि यदि मिहिका चाहेगी तो वह उसे कहीं जौब दिलवा देगा. जल्द ही पारिजात को अपनी इच्छी पूरी करने का अवसर मिल गया. उस के इंस्टिट्यूट में डौक्यूमैंटेशन का काम देखने के लिए जो पोस्ट निकली वह मिहिका के सीवी से बिलकुल मैच करती थी.