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पूर्व कथा

बेटी सोनिया व पति मिलन के साथ तरु की जिंदगी सामान्य गुजर रही होती है. भाभी के उपकारों का बोझ कुछ हलका करने के लिए तरु अपनी भतीजी निक्की को गांव से शहर ले आती है. इस पर सास ससुर ही नहीं, पति भी तरु से नाराजगी प्रकट करते हैं. सासससुर की सुनने की आदी तरू मिलन को समझा लेती है और वे निक्की को घर का सदस्य मान लेते हैं.

तरु  अब सोनिया की ही नहीं, निक्की की भी मां होती है. शुरूशुरू में निक्की किसी से बात नहीं करती थी. जब तक मैं कालेज से वापस न लौटती, वह एक ही कमरे में दुबकी रहती. सोनिया उसे खूब चिढ़ाती. एक दिन ऐसे ही सोनिया ताली पीटपीट कर निक्की को चिढ़ा रही थी. निक्की कभी मिलन को देखती, कभी मुझे निहारती. मिलन ने प्यार से जैसे ही निक्की को अपने पास बुलाया, वह उन के गले में झूल गई थी. समय गुजरा और सोनिया की शादी हो गई. वह ससुराल चली जाती है. इधर, तरु कालेज की नौकरी छोड़ कर समाज सेवा करने में व्यस्त हो जाती है. इस बीच, मिलन को एहसास होता है कि तरु उन को समय नहीं दे पा रही है. जब तरु उन से कहती कि निक्की तो उन की देखभाल कर लेती है तो वे कहते कि...रात में...

अब आगे...

पिछली बार जब निक्की को वायरल हुआ था तो मैं ने सुबह उठ कर भवानी से घर को साफसुथरा करवाया. फिर निक्की के लिए दलियाखिचड़ी तैयार कर के घर से निकल रही थी कि मिलन ने मुझे रोक लिया था.

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