लेखिका- मरियम के. खान
सूटकेस में 10 हजार डौलर और अहम कागजात थे. कार उस ने क्लिनिक के गेट पर ही खड़ी कर दी. वह राहिल के साथ क्लिनिक के औफिस में आया तो ठिठक गया. सामने नर्सें, कंपाउंडर और गार्ड नीचे फर्श पर पड़े थे. डाक्टर ने राहिल की तरफ मुड़ना चाहा तो उसे कमर में चुभन का अहसास हुआ. कुछ ही देर में वह बेहोश हो गया. उस के बाद राहिल बाहर आया. बाहर वाले गार्ड को भी वह बेहोश कर के अंदर ले गया.
प्लान के मुताबिक शमा भी वहां पहुंच गई. उस ने पूछा, ‘‘सब ठीक है?’’
राहिल ने जवाब दिया, ‘‘सब पूरी तरह काबू में हैं.’’
उस ने मास्क लगा कर लोगों को एक जगह जमा कर लिया. ये वे जालिम और कातिल लोग थे, जिन्होंने मजबूर और बेबस लोगों को तड़पातड़पा कर मारा था. शमा ने पूछा, ‘‘अब इन के साथ क्या करोगे?’’
‘‘वही, जो इन्होंने दूसरों के साथ किया है,’’ राहिल आगे बोला, ‘‘चलो शमा, जल्दी आओ. हमें बाकी लोगों को यहां से आजाद करना है.’’
चाबियां राहिल के पास थीं. पहले उस ने ऊपर के कमरों के लोगों को एकएक कर आजाद किया और उन्हें धीमी आवाज में सारे हालात समझा दिए. उन्हें सलाह दी कि अपने रिश्तेदारों से बच कर किसी टीवी चैनल में चले जाओ. जब चैनल वाले तुम्हारी कहानी प्रसारित करेंगे, पुलिस खुदबखुद मदद को आ जाएगी.
सभी 17 मरीज आजाद हो गए. इन में नूर और सोहेल भी थे. सारे मरीज डरेसहमे जरूर थे लेकिन आजादी पर खुश नजर आ रहे थे. फिर राहिल औफिस में आया, जहां डा. काशान और उस के साथी बेहोश पड़े थे. उस ने सब की तलाशी ली. उन के पास हजारों रुपए मिले. वह सब उस ने अपने पास रख लिए. डा. काशान के सूटकेस से 10 हजार डौलर निकले जो उस ने सुरक्षित रख लिए. बाकी की सारी लोकल करेंसी मरीजों में बांट दी.